UP Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो गया है. यूपी में कांग्रेस और सपा गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. एक समय था जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जलवा हुआ करता था लेकिन अब हालात बदल गए हैं. कांग्रेस अपने सबसे कमजोर दौर से गुजर रही है. कई सीटों पर सालों से उसे जीत का मुंह देखने को नहीं मिला है. इनमें से एक लखनऊ जैसी वीवीआईपी सीट भी है. 


उत्तर प्रदेश की लखनऊ सीट पर कभी कांग्रेस का जलवा हुआ करता था, इस सीट से 1952 से 1984 तक कांग्रेस सात बार चुनाव जीत चुकी है. विजय लक्ष्मी पंडित, शीला कौल जैसे बड़े नाम कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं. जबकि एक बार 1967 में निर्दलीय प्रत्याशी आनंद नारायण और 1977 में जनता पार्टी से हेमवती नंदन बहुगुणा सांसद रह चुके हैं. लेकिन, अब ये सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. 


बरसों से सूखा झेल रही है कांग्रेस
लखनऊ लोकसभा सीट से आखिरी बार कांग्रेस की शीला कौल 1984 में सांसद बनी थी. इसके बाद से आज तक कांग्रेस पार्टी यहां चुनाव नहीं जीत पाई है. पिछले 36 सालों से कांग्रेस के लिए यहां सूखा है. अब ये सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है. साल 1991 से लगातार बीजेपी यहां भगवा लहराती आ रही है. 


लखनऊ सीट से बीजेपी के दिग्गज नेता सांसद रहे हैं. साल 1991 से लेकर 2004 तक लगातार स्व. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पाँच बार सांसद रहे. इसके बाद साल 2009 में लालजी टंडन ने बीजेपी के टिकट पर लखनऊ सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. यही नहीं 2014 से लगातार दो बार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सांसद हैं. बीजेपी ने तीसरी बार भी उन्हें लखनऊ से ही टिकट दिया है. 


उत्तर प्रदेश में कांग्रेस काफी कमजोर हो गई है. पिछले कुछ सालों से पार्टी यहां अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. कांग्रेस की हालत ये हैं कि देश के सबसे बड़े विपक्षी दल होने का दावा करने वाली कांग्रेस को सपा से गठबंधन में सिर्फ 17 सीटें मिली है. अमेठी और रायबरेली जैसी सीटों पर भी प्रत्याशी उतारने के लिए पार्टी को सोचना पड़ रहा है. 


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