UP News: लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले हुए उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनावों (UP Nagara Nikay Chunav) में कांग्रेस (Congress) का जो हाल हुआ है, उस पर पार्टी के नेता सोच में पड़ गए हैं. कभी राज्य के कानपुर (Kanpur) में बीजेपी (BJP) को सीधी चुनौती देने वाली कांग्रेस मेयर चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा पाई. पार्टी में एक धड़ा प्रत्याशी से दूरी बनाए रहा. ऐसे में पार्टी को खामियाजा बुरी तरह हार से चुकाना पड़ा.


कर्नाटक के रण में भले ही बीजेपी को बड़ी मात देकर कांग्रेस संजीवनी मिलने का दम भर रही हो लेकिन यूपी में हाल में ही संपन्न हुए निकाय चुनावों के प्रदर्शन ने पार्टी को सोच में जरूर डाल दिया है. यूपी में कांग्रेस से निकाय चुनावों के लिए कोई बड़ा नेता प्रचार में नहीं उतरा, नतीजा ये हुआ कि कांग्रेस का जनाधार नतीजों में और सिमटा हुआ नजर आया. कभी कांग्रेस के मजबूत किले कानपुर की बात करें तो यहां से दिग्गज पार्टी नेता श्रीप्रकाश जायसवाल तीन बार सांसद बने और यूपीए सरकार में दो बार मंत्री भी रहे.


कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी को मिले करीब 90 हजार वोट


विधानसभा चुनाव में हालात और नतीजे कुछ भी आते रहे हों लेकिन निकाय चुनावों खासकर मेयर और लोकसभा में बीजेपी को सीधी चुनौती कांग्रेस से ही मिलती रही है. इस बार जो नतीजे आए हैं वो कांग्रेस की चिंता बढ़ाने वाले हैं. वैसे तो मेयर पद पर इस बार 13 उम्मीदवार लड़ाई लड़ रहे थे लेकिन कांग्रेस समेत 11 प्रत्याशी अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए. कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी आशनी अवस्थी को 90 हजार के करीब वोट मिले और उनकी जमानत जब्त हो गई. जानकार भी इसे लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के लिए बड़ी खतरे की घंटी मानते हैं.


टिकट को लेकर मचे घमासान से भी नुकसान


दरअसल कांग्रेस से मेयर पद की प्रत्याशी आशिनी अवस्थी ने जिस प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम पर टिकट लीं, वे पूरे चुनाव में कर्नाटक में व्यस्त थी. जानकर बताते हैं कि इधर पार्टी के बुजुर्ग कहे जाने वाले नेता प्रदेश सचिव विकास अवस्थी की पत्नी आशनी अवस्थी को प्रत्याशी के तौर पर गले नहीं उतार पाए. ऊपर से पार्षद पद के बागियों ने कोढ़ में खाज का काम किया. दादा नगर, फजलगंज, अजीतगंज, गोविंद नगर, परमट, शूटर गंज, बर्रा जैसी सीटों पर टिकट को लेकर मचे घमासान ने वार्ड से लेकर मेयर तक के प्रत्याशी की स्थिति खराब कर दी.


पार्षदों की संख्या घटकर 18 से 13 हुई


वहीं किदवई नगर, महाराजपुर कैंट जैसे विधानसभा क्षेत्रों में आने वाले कई वार्ड में तो स्थानीय नेताओं ने ही पार्टी प्रत्याशी को हराने पर जोर लगाया. इसी अंदरूनी खींचतान और बगावत का नतीजा यह हुआ कि ब्राह्मण वोट और मुस्लिम वोट बैंक के साथ आने पर हमेशा दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस इस बार तीसरे नंबर पर हो गई और अपनी जमानत तक नहीं बचा सकी. साथ ही पार्षदों की संख्या घट 18 से 13 रह गई. हालांकि, कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष नौशाद आलम की मानें तो हार के बहुत कारण रहे और अब वो बीजेपी नहीं बल्कि सपा से लड़कर 2024 की चुनौती पार पाने की जुगत में दिखते हैं.


क्या मानते हैं कानपुर के बड़े कांग्रेसी नेता?


बीजेपी के विधायक सुरेंद्र मैथानी निकाय चुनाव में मिली जबरदस्त जीत के बाद किसी भी तरह की चुनौती को अपने सामने मानने को तैयार नहीं, उनके मुताबिक योगी-मोदी की सरकार जनता की कसौटी पर खरी उतर रही है और इसीलिए 2024 में एक बार फिर से बीजेपी के सामने कांग्रेस, सपा और बसपा कोई भी टिकने नहीं जा रहा. शहर के बड़े कांग्रेसी नेता मानते हैं कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे लोगों की सूची बनाई जा रही है और ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता भी दिखाया जाएगा लेकिन ये बात भी सच है कि कानपुर में चुनाव दर चुनाव पार्टी सिमटती जा रही है.


2017 के निकाय चुनाव में कांग्रेस को मिले थे 31 फीसदी वोट


पिछले 5 साल में कांग्रेस ने कानपुर में 21 फीसदी जनाधार खो दिया है. साल 2017 के निकाय चुनाव में कांग्रेस को 31 फीसदी वोट मिले थे और 18 पार्षद जीत दर्ज करने में सफल हुए थे. इस बार कांग्रेस को केवल 10 फीसदी वोट ही मिले हैं और सिर्फ 13 पार्षद चुने गए हैं, जबकि साल 2007 में 28 पार्षद और 2012 में 22 पार्षद कांग्रेस के चुने गए थे. कांग्रेस के 106 प्रत्याशियों को कुल 117846 वोट मिले हैं. पार्टी के 64 उम्मीदवार जमानत तक नहीं बचा पाए.


लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बढ़ी चिंता


कांग्रेस उम्मीदवार 13 वार्डों में दूसरे स्थान पर रहे. 22 वार्ड में तीसरे पर रहे. जनरल गंज में कांग्रेस को सबसे कम 96 तो सबसे ज्यादा 4779 वोट गोविंद नगर दक्षिणी इलाके में मिले हैं. विधानसभा क्षेत्र के लिहाज से क्षेत्र में सिर्फ जाजमऊ सीट पर नुरैन अहमद जीत सके. गोविंद नगर क्षेत्र में निराला नगर गोविंद नगर दक्षिणी और गुजैनी कॉलोनी में जीत मिली. ऐसे में चिंता का बड़ा सबब साल 2024 के मद्देनजर बनती दिख रही हैं.


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