Hapur Lathi-Charge: हापुड़ जिले में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज को लेकर न्यायिक कार्य का विरोध करते हुए आक्रोश प्रकट कर रहे अधिवक्ताओं ने 13 और 14 सितंबर को भी हड़ताल पर रहने का निर्णय किया है. स्टेट बार काउंसिल, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, शासन, प्रशासन की ओर से बार काउंसिल और अधिवक्ताओं की मांग पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसको लेकर बार काउंसिल के सदस्यों की आपात बैठक मंगलवार की रात हुई.


बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि दिनांक 13 और 14 सितंबर, 2023 को अधिवक्ता न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. जिसमें 13 सितंबर को जिला बार संघ, तहसील बार संघ अपना मांग पत्र जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी के माध्यम से सरकार को देंगे.


14 सितंबर को फूका जाएगा सरकार का पुतला


वहीं, 14 सितंबर को अधिवक्ता शांतिपूर्ण ढंग से सरकार का पुतला न्यायालय परिसर में फूकेंगे. बैठक में यह निर्णय भी किया गया कि 17 सितंबर को बार काउंसिल के परिसर में प्रदेश के समस्त बार संघों के अध्यक्षों या मंत्री का एक सम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें अध्यक्ष या मंत्री अपना लिखित कथन लेकर आएंगे और सम्मेलन में किए गए निर्णय के अनुसार आगे की रणनीति तय की जाएगी.


अधिवक्ता आज भी करेंगे कार्य का बहिष्कार


इस बीच, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई एक बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि हाई कोर्ट के अधिवक्ता बुधवार को भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे. एसोसिएशन के संयुक्त सचिव (प्रशासन) की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, बुधवार को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक, एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई जिसमें सर्वसम्मति से निर्णय किया गया कि अधिवक्ता बुधवार 13 सितंबर को भी न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे.


शासन के खिलाफ विरोध जारी


विज्ञप्ति के मुताबिक, बैठक में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय किया गया कि यदि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के निर्णय के विरुद्ध जाकर कोई भी अधिवक्ता न्यायिक कार्य करते हुए पाया जाता है तो उसके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी. एसोसिएशन के मुताबिक, चूंकि शासन द्वारा हापुड़ घटना पर आज की तिथि तक कोई निर्णय नहीं किया गया, इससे प्रदेश के अधिवक्ताओं में काफी रोष व्याप्त है. बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय किया गया कि शासन के खिलाफ विरोध जारी रखा जाएगा.


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