Uttarakhand News: केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के रजिस्ट्रेशन बार-बार बंद किए जाने से केदारघाटी के लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश है. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने बमुश्किल कर्जा लेकर यात्रा में अपना व्यवसाय शुरू किया है, लेकिन धाम के लिए पंजीकरण बंद होने और यात्रियों के कम संख्या में पहुंचने से उनके रोजगार पर बुरा असर पड़ रहा है. स्थानीय लोगों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि जल्द ही पंजीकरण नहीं खोले गए तो वह उग्र आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएंगे.


दरअसल, मौसम खराब होने की वजह से केदारनाथ यात्रा के पंजीकरण 25 मई तक रोके गए हैं. धाम में समय-समय पर बर्फबारी हो रही है. इस वजह से पंजीकरण रोके जा रहे हैं. पंजीकरण रोके जाने से धाम आने वाले यात्रियों की संख्या में कमी आ रही है. मौसम साफ होने के बाद भी बार-बार पंजीकरण रोके जाने से अब स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए हैं. स्थानीय लोगों ने आंदोलन की चेतावनी दी है. स्थानीय व्यवसायी दीपक सिंह, ऋषभ अग्रवाल, रोहित शर्मा, पवन राणा, धर्मेंद्र पंवार ने कहा कि सरकार को जल्द से जल्द पंजीकरण पर लगाई रोक को हटा देना चाहिए. यदि पंजीकरण पर लगी रोक नहीं हटाई गई तो सरकार के खिलाफ उग्र आंदोलन किया जाएगा.


उत्तराखंड क्रांति दल ने की ये मांग


दूसरी ओर चारधाम यात्रा में रजिस्ट्रेशन की बाध्यता खत्म न होने पर उत्तराखंड क्रांति दल और व्यापार सभा रुद्रप्रयाग ने आंदोलन की चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन के कारण यात्रा बुरी तरह प्रभावित हो गई है और इसका असर व्यवसायियों पर पड़ रहा है. उक्रांद के जिलाध्यक्ष बुद्धिबल्लभ ममगाई, केंद्रीय प्रवक्ता मोहित डिमरी और व्यापार संघ अध्यक्ष राय सिंह बिष्ट ने कहा कि केदारनाथ यात्रा को लेकर भक्तों में खासा उत्साह बना हुआ है, लेकिन रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता ने यात्रा में खलल पैदा करने का काम किया है. तीर्थयात्रियों के सीमित संख्या में आने से यात्रा पड़ावों में व्यापार करने वाले व्यापारी परेशान हैं. उन्होंने कहा कि काफी दिनों से मौसम साफ है. ऐसे में सरकार को रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को खत्म कर देना चाहिए.


'एक सप्ताह के लिए रजिस्ट्रेशन फुल'


वहीं जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने कहा कि केदारनाथ धाम यात्रा को लेकर हर दिन के लिए तीस हजार से अधिक लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराए हैं और आगामी एक सप्ताह के लिए रजिस्ट्रेशन फुल हैं. धाम में अभी दस से बारह हजार लोगों के लिए ही रहने और खाने की उचित व्यवस्थाएं हैं. तीर्थयात्रियों की सुविधा के अनुसार ही यात्रा मार्गो पर व्यवस्थाएं की गई हैं.


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