Lok Sabha Election 2024: यूपी के 80 सीटों पर जहां एक तरफ सभी राजनैतिक दलों की नजर टिकी हुई है. तो वहीं स्टेट की राजनीति करने वाली पार्टियां इसमें सबसे आगे दिख रही है. बीजेपी देश के सिंहासन पर विराजमान होने के लिए यूपी की सभी सीटों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है तो वहीं सपा कांग्रेस गठबंधन के साथ इन सीटों को जीतने की कवायत में है. वहीं बीएसपी एकला चलो की रणनीति के साथ  साइलेंट मोड में चुनाव लड़ रही है. 


बीएसपी ने भी यूपी की प्रमुख सीटों को निकलने की कोशिश में है या बीएसपी साइलेंट मोड में बीजेपी को नुकसान पहुंचा रही है या फिर बीएसपी अकेले ही चुनाव लड़कर यूपी में राज करने का सपना देख रही है. फिलहाल 10 मई को संभावित कानपुर में बीएसपी सुप्रीमो मायावती की जनसभा हो सकती है.


कानपुर आएंगे कई बड़े दिग्गज
चौथे चरण के मतदान से पहले कानपुर दिग्गजों की जनसभा और रैलियों से हॉट होता जा रहा है. क्योंकि औधोगिक राजधानी होने के साथ-साथ कानपुर सीट कई बड़े नेताओं की जननी भी है. ऐसे में 4 मई को पीएम मोदी कानपुर में बड़ा रोड शो करने जा रहे है. तो वहीं गठबधंन के प्रत्याशी आलोक मिश्रा को एंकर राहुल गांधी और अखिलेश की संयुक्त रैली का हुई प्रस्ताव भेजा गया है. वहीं अब बीएसपी सुप्रीमो मायावती की भी एक बड़ी जनसभा कानपुर में होने की संभावना है.


बीएसपी कर सकती है बीजेपी का गेम खराब
कानपुर और अकबरपुर सीट पर बीएसपी पिछले चुनाव में अच्छे प्रदर्शन कर चुकी है. जिसके चलते बीएसपी ने कानपुर सीट पर कुलदीप भदौरिया और अकबरपुर सीट पर राजेश द्विवेदी को मैदान में उतारा है. हांलाकि राजनीति के जानकारों की माने तो बीएसपी अकेले चुनाव लड़ने के सहारे कही न कहीं बीजेपी को नुकसान पहुंचा रही है. क्योंकि जाति वार प्रत्याशियों को उतार कर बीएसपी बीजेपी के गेम को खराब करना चाह रही है. वहीं अब मायावती की कानपुर में होने वाली स्भावित जनसभा दलित, ओबीसी और पिछड़े वोटो को साधने की कवायत कर सकती है.


क्या है कानपुर सीट का चुनावी समीकरण 
बीजेपी को अक्सर ब्राह्मण, क्षत्रिय और सवर्ण के वोटो के लिए मना जाता है तो वहीं कांग्रेस, सपा और बीएसपी को मुस्लिम, एससी ओबीसी और दलित वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा बताया जाता है. ऐसे में कानपुर सीट पर बीजेपी ने ब्राह्मण ,गठबंधन में ब्राह्मण कैंडिडेट को उतारा है तो बीएसपी ने भी क्षत्रिय कैंडिडेट को उतरकर वोटों की सेंधमारी का प्लान तैयार किया है. क्योंकि बीएसपी प्रत्याशी क्षत्रिय, वोटों के साथ सवर्ण वोटो पर काम कर रहा है. वहीं बीजेपी को मिलने वाले ये सवर्ण वोट में कटौती हो सकती है. इसके साथ ही दलित वोट भी कुछ बीएसपी के साथ जा सकते है. जिससे बीजेपी को ही नुकसान उठाना पड़ सकता है. 


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