एबीपी गंगा के खास शो समय चक्र में आज पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने क्रोध के बारे में बात की। कई लोगों को बहुत अधिक क्रोध आता है तो कई लोग छोटी-छोटी बात पर उखड़ जाते हैं। कुछ लोगों में तो इतना भयंकर क्रोध आता है कि उनको यह पता ही नहीं होता कि वह क्रोध में कितना नकारात्मक काम कर जाते हैं। क्रोध आते ही सोचने समझने की शक्ति ही भस्म हो जाती है।


किसी भी व्यक्ति का स्वभाव उसके व्यक्तित्व निर्धारण की सबसे पहली और सबसे प्रभाव पूर्ण कड़ी होती है। स्वभाव किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्धारण में एक नींव की तरह कार्य करता है। आज हम यहां विशेष रूप से क्रोध और क्रोधित स्वभाव के विषय में चर्चा कर रहे हैं क्योंकि यह हम सभी के जीवन से जुड़ा एक बड़ा ही महत्वपूर्ण विषय है। आखिर इस क्रोध का ज्योतिषीय कारण क्या है और किस तरीके से क्रोध को कंट्रोल किया जा सकता है ?.


क्रोध को आने के लिए ज्योतिष में जिन घरों का एक्टिवेशन चाहिए वह घर है कि आप स्वयं यानि जिसको क्रोध आ रहा है। ज्योतिष में इसे लग्न कहते हैं। दूसरा आपकी वाणी जहां से क्रोध प्रकट होगा। तीसरा मस्तिष्क जिससे सभी चीजें नियंत्रित होती हैं और क्रोध आने पर मस्तिष्क पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है और अक्सर कहा भी जाता है कि अमुक व्यक्ति का दिमाग बहुत गर्म है।


क्रोध, ऊर्जा और अग्नि का एक रूप है। जब फायरी प्लैनेट व्यक्ति के अन्दर ऊर्जा बढ़ाते हैं यानि अग्नि तत्व बढ़ाते हैं तो इसी का साइडइफेक्ट, क्रोध है। जैसे उदाहरण लेते हैं कि अब अगर आपको गैस जलानी है तो अग्नि तत्व लाइटर या माचिस से ही जला पाएंगे ठीक इसी प्रकार क्रोध दिलाने वाले जो ग्रह हैं वह अग्नि तत्व प्रधान होते हैं, अब फायरी प्लेनट जो हैं वो मंगल और सूर्य हैं।


वहीं, नैसर्गिक रूप से जो सभी के मन के कारक हैं, जो मूड को कंट्रोल करते हैं, वह चंद्रमा हैं। जब किसी तरीके से कुंडली में या अंतरिक्ष में मंगल यानि अग्नि तत्व का कोई ग्रह और मन को कंट्रोल करने वाला चंद्रमा के जब पास आ जाते हैं या इन से संबंध बना लेते हैं तो मूड गर्म हो जाता है। जैसे उदाहरण लेते हैं किसी गैस को जलाने के बाद उस पर जल का पात्र रख दें तो जल गरम हो जाएगा यानी चंद्रमा जब मंगल के साथ कनेक्ट करेगा तो क्रोध आना स्वभाविक है।


नैचुरल रूप से चंद्रमा तो मन का कारक सभी का है लेकिन अगर किसी की कुंडली में चंद्रमा उसके दिमाग का स्वामी भी हो जाए यानी यह स्थिति मीन लग्न और मीन राशि वालों के बनती है। वहीं, अगर चंद्रमा का संबंध वाणी के घर से हो जाए तो वाणी कि जो सौम्यता है, जो शीतलता है, वह खत्म हो जाती है और व्यक्ति क्रोध में आग बबूला होने लगता है। अब यह स्थिति मिथुन लग्न या मिथुन राशि वालों के लिए बनती है।


दर्शकों अगर चंद्रमा प्रथम भाव यानी लग्न यानी अपने शरीर यानी स्वयं का स्वामी हो जाए तो फिर क्रोध प्रचंड हो जाता है। इसलिए कर्क लग्न और कर्क राशि वालों के स्वामी चंद्रमा के साथ यदि मंगल की मजबूत स्थिति बन जाए तो चंद्रमा फायरी हो जाता है। यह इतने क्रोध के रूप में अक्सर परिलक्षित होती है। इस चंद्रमा और मंगल के साथ अगर कहीं राहु भी बैठ जाएं तो क्रोध ऐसा आता है जैसे बम ही फट गया हो।


राहु किसी भी चीज को प्रोवोक करता है, उत्प्रेरक होता है और सबसे खास बात यह है कि बहुत भड़काऊ देवता है। यह बिना बात के आदमी को उकसा कर बात का बतंगड़ बना देता। दरअसल, राहु धमाका कराता है। किसी भी चीज का अचानक विध्वंसक रूप से प्रकट हो जाना, राहु के कारकत्व का एक कारण है। इसलिए राहु की संगत अगर चंद्रमा या मंगल के साथ हो जाए तो क्रोध अधिक आने लगता है।


दर्शकों कोई भी ऊर्जा देने वाले ग्रह अगर विस्फोटक ग्रह राहु के साथ आ जाएंगे तो अग्नि अनियंत्रित हो जाएगी और क्रोध भी अग्नि का एक रूप है। वहीं चंद्रमा अगर वाणी का, मस्तिष्क का या स्वयं का स्वामी अगर है तो क्रोध अधिक आता है। ठीक उसी प्रकार अगर मंगल भी आपकी वाणी का स्वामी हो जाए और कुंडली के दूसरे घर में यानी जो वाणी का घर होता है, वहां पर बैठ जाए और कहीं राहु के साथ हो जाते हैं तो समझ लीजिए ऐसे आदमी से बात करना सरल नहीं होता।


क्रोध के भी कई रूप या अवस्थायें होती हैं, जैसे कुछ परिस्थितियों में किसी गलत बात का विरोध करने या किसी व्यक्ति की गलती पर उसे समझाने के लिए क्रोध करना आवश्यक होता है।


सकारात्मक क्रोध
कुंडली में जब मंगल और बृहस्पति का योग हो तो ऐसे में व्यक्ति का क्रोध सकारात्मक रूप में होता है। आवश्यकता होने पर ही व्यक्ति क्रोध करता है।


अहम् वश क्रोध
सूर्य और मंगल का योग व्यक्ति को अहमवश क्रोध देता है।


गुप्त क्रोध
राहु और बुध का अष्टम भाव में होना या बुध का कमजोर और पीड़ित होने पर व्यक्ति अपने क्रोध को मन में दबाकर रखता है। आसानी से क्रोध का प्रदर्शन नहीं कर पाता।


नकारात्मक क्रोध
राहु और मंगल का योग व्यक्ति के क्रोध को विकृत करके विध्वंसात्मक रूप देता है। अतः ऐसा व्यक्ति अपने क्रोध पर बिलकुल नियंत्रण नहीं रख पाता और बहुत बार बड़े गलत निर्णय करके विध्वंस हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न कर देता है। यह क्रोध का नकारात्मक रूप है।


तो यहां विशेष बात यह है कि क्रोध का कारक मंगल को माना गया है परंतु व्यक्ति के क्रोध को विकृत करने या विध्वंसात्मक रूप देने या क्रोध को नकारात्मक रूप देने का कार्य राहु ही करता है। अतः क्रोध की प्रचंडता में मंगल के अतिरिक्त मुख्य रूप से राहु की ही भूमिका है।


क्रोध से निदान के उपाय
- गणेश स्त्रोत का नियमित पाठ करें।
-मंगलवार को हनुमान जी को अनार का फल चढ़ायें।
-मंगलवार को गुड़ या साबुत लाल मसूर का दान करें।
-मस्तक पर सफ़ेद चन्दन का तिलक लगायें।