महाभारत में आपने हस्तिनापुर का नाम सुना ही होगा. यह स्थान वर्तमान में मेरठ के अंतर्गत आता है. दिल्ली से हस्तिनापुर की दूरी तकरीबन 100 किलोमीटर है. यह स्थान महाभारत काल का गवाह है. प्राचीन काल में हस्तिनापुर पांडवों और कौरवों की राजधानी हुआ करती थी. यहां महाभारत काल से जुड़े कई शिलालेख और वस्तुएं मिली है. 

हस्तिनापुर में विदुर टीला, पांडेश्वर मंदिर, बारादरी द्रोणदेश्वर मंदिर, कर्ण मंदिर, द्रौपदी घाट और कामा घाट स्थित है. हिंदू धर्म के अलावा यह स्थान जैन धर्म के लिए भी खास है. यहां जंबुद्वीप जैन मंदिर, श्वेतांबर जैन मंदिर, प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर, अस्तपद जैन मंदिर और श्री कैलाश पर्वत जैन मंदिर स्थित है. हस्तिनापुर में जैन धर्म के 24 तीर्थंकर में से 16,17 और 18 वें का जन्म हीं हुआ था. 

सिख धर्म के लिए भी है खास

हस्तिनापुर में सिख धर्म के लोग भी बड़ी संख्या में आते हैं दरअसल यहां पंच प्यारे भाईयों में से धर्म सिंह का जन्म यहीं हुआ था. गुरु गोविंद सिंह के ये पांचों शिष्यों में से एक थे. हस्तिनापुर स्थित सैफपुल कर्मचनपर का गुरद्वारे में हजारों श्रद्धालु रोजाना माथा टेकनें आते हैं. 

कर्ण मंदिर 

हस्तिनापुर के कर्ण मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. पौराणिक कथाओं के मुताबिक दानवीर कर्ण ने इसी स्थान पर अपने कवच और कुंडल भगवान इंद्र को दान में दिया था. 

पांडेश्वर मंदिर 

महाभारत काल की ऐतिहासिक स्थल हस्तिनापुर का पांडेश्वर मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. मंदिर परिसर में पांच पांडवों की भी प्रतिमा लगी हुई है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर महाभारत काल का है.  वहीं इस मंदिर का जीर्णोद्धार साल 1798 में बहसूमा के राजा नैन सिंह गुज्जर ने करवाया था. 

द्रौपदी घाट

हस्तिनापुर स्थित द्रौपदी घाट वह स्थान है जहां पांडवों की पत्नी द्रौपदी स्नान करने आती थीं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक बार जब द्रौपदी स्नान करने गई इसके कुछ दूरी पर यहां महर्षि दुर्वासा भी स्नान कर रहे थे नदी में उनका अधोवस्त्र बह गया.यह देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक हिस्सा फाड़कर ऋषि तक पहुंचाया. तब दुर्वासा ने द्रौपदी को वरदान दिया कि उनकी गरिमा हमेशा बरकार रहेगी. इस वरदान के कारण ही चीर-हरण के दौरान द्रौपदी की सम्मान भगवान श्रीकृष्ण  ने बचाई. 

विदुर टीला

हस्तिनापुर में विदुरा टीला के पास एक बरगद का पेड़ है. ऐसा कहा जाता है कि यह पेड़ विदुर ने लगाया था. ऐसा कि इसी पेड़ के नीचे विदुर भाई ने तपस्या की थी. महाभारत के युद्ध के बाद विदुर ने इसी स्थान पर शरीर त्याग कर दिया.   

जैन जंबूद्वीप मंदिर 

जैन धर्म के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हस्तिनापुर जैन जंबूद्वीप मंदिर है. यह मंदिर अपनी खूबसूरती की वजह से पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है. इसे साल 1972 में ज्ञानमती माताजी के तहत बनवाया गया था.   

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