हरिद्वारः पिछले 1 महीने से लगातार चले आ रहे कोरोना कर्फ्यू की वजह से हरिद्वार के व्यापारियों पर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. व्यापार ही नहीं बल्कि टैक्सी ड्राइवर और होटलों से जुड़े व्यापारी भी बाजार खुलने का इंतजार कर रहे हैं. टैक्सी ड्राइवरों के सामने गाड़ी की किस्त देने का संकट है तो होटल मालिकों के सामने कर्मचारियों की सैलरी का संकट खड़ा हो रहा है.


हरिद्वार समेत पूरे उत्तराखंड में पिछले 1 महीने से कोरोना कर्फ्यू जारी है तो वहीं कोरोना की वजह से चार धाम यात्रा समेत पर्यटन से जुड़ी हर गतिविधि बंद  है. हरिद्वार उत्तराखंड का ऐसा शहर है यहां पर अधिकांश लोगों का व्यवसाय पर्यटन से जुड़ा है, उत्तराखंड के गढ़वाल में कोई भी पर्यटक आता है तो वह हरिद्वार जरूर रुकता है. लेकिन कोरोना ने हरिद्वार के सभी व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा कर दिया है. तकरीबन पिछले 1 महीने से कोरोना कर्फ्यू जारी है हरिद्वार में पर्यटकों की आवाजाही बिल्कुल बंद है ऐसे में चार धाम यात्रा के बंद होने से भी हरिद्वार के व्यवसाय पर बड़ा असर पड़ गया है. खासकर ट्रेवलिंग से जुड़े तमाम लोग इस बात से चिंतित हैं कि वह अपनी गाड़ियों की किस्त कैसे जमा करें. वही होटलों में यात्रियों के न आने से मालिकों के सामने कर्मचारियों को सैलरी का संकट खड़ा हो गया है.


कोरोना ने न सिर्फ इन लोगों का व्यवसाय छीना है बल्कि हर वर्ग से जुड़ा व्यापारी प्रभावित हुआ है ,उसमें चाहे रिक्शा चालक हो टैक्सी चालक को या फिर छोटे व्यवसाय से जुड़ा व्यापारी हो. बाजार बंद होने से व्यापारी वर्ग भी वित्तीय संकट से जूझ रहा है. व्यापारियों ने सरकार से गुहार लगाई है कि 1 जून से बाजार को खोलने में हल्की राहत दी जाए ताकि उनका व्यवसाय फिर से पटरी पर चल सके.


हरिद्वार के अधिकतर लोग पर्यटन से ही रोजी रोटी कमाते हैं हरिद्वार में पर्यटक आते हैं तो व्यापारी समेत तमाम लोग अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं लेकिन कोरोना की वजह से पिछले 2 सालों से लगातार बाजार प्रभावित हो रहा है, इससे न सिर्फ व्यापारी वर्ग परेशान है बल्कि सरकार को भी वित्तीय संकट झेलना पड़ा है.


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