UP News: उत्तर प्रदेश में वकीलों की हड़ताल से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है. प्रदेश भर की अदालतों के वकील सोमवार से काम पर लौटेंगे. वकील अदालतों में न्यायिक कार्य करेंगे लेकिन हापुड़ (Hapur) घटना का विरोध भी जारी रखेंगे. यूपी बार काउंसिल (UP Bar Council) की बैठक में यह फैसला लिया गया. यह बैठक यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ (Shiv Kishore Gaur) की अध्यक्षता में हुई. इसमें यह फैसला लिया गया कि वकील सरकार के रवैये के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.


यूपी बार काउंसिल ने बैठक में 16 सितंबर से 20 अक्टूबर तक का कार्यक्रम भी तय किया. प्रदेश भर के अधिवक्ता 16 सितंबर को कलेक्ट्रेट, ट्रेजरी और रजिस्ट्री परिसर में धरना प्रदर्शन करेंगे. अधिवक्ता 22 सितंबर को लाल फीता बांधकर विरोध दिवस मनाएंगे. वहीं 29 सितंबर को हर जिले में सरकार का पुतला जलाएंगे. इसके बाद 6 अक्टूबर को अधिवक्ता मंडलवार सम्मेलन करेंगे.


20 अक्टूबर को विधानसभा का घेराव करेंगे वकील


इसके अलावा 13 अक्टूबर को यूपी बार काउंसिल में प्रदेश भर के जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्षों और मंत्रियों का सम्मेलन होगा. 20 अक्टूबर को प्रदेश भर के अधिवक्ता विधानसभा का घेराव करेंगे. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट में भी इस मामले में पैरवी करेंगे. हापुड़ घटना को सुओ मोटो लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई की थी. इस मामले में 15 सितंबर को हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई होगी.


ज्यूडिशियल कमेटी का किया गया गठन


दरअसल, हापुड़ में वकीलों पर हुए पुलिस लाठीचार्ज के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने घटना से जुड़े तमाम पहलुओं की जांच के लिए ज्यूडिशियल कमेटी का गठन किया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज मनोज कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में ज्यूडिशियल कमेटी गठित हुई है. जस्टिस राजन राय और जस्टिस फैज आलम कमेटी के सदस्य होंगे. यूपी के एडवोकेट जनरल, यूपी बार काउंसिल के चेयरमैन और इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष भी कमेटी में शामिल रहेंगे. एडवोकेट जनरल अपनी तरफ से किसी को नामित भी कर सकते हैं.


एसआईटी से मांगी गई रिपोर्ट


यूपी बार काउंसिल की तरफ से अधिवक्ता अभिनव गौर और विभु राय ने हाईकोर्ट से इस मामले में सुओ मोटो लेकर सुनवाई करने का अनुरोध किया था. चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने शनिवार को छुट्टी के दिन में इस मामले में सुनवाई की. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी की डिवीजन बेंच ने की सुनवाई. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि इस मामले में यूपी सरकार की तरफ से गठित एसआईटी भी अपना काम करती रहेगी. कोर्ट ने एसआईटी से वकीलों की तरफ से दर्ज कराई गई एफआईआर पर हुई कार्रवाई की रिपोर्ट भी मांगी है.


ये भी पढ़ें- UP Politics: बीजेपी को सबसे ज्यादा चुभेगा अखिलेश यादव का तंज, जवाब देना होगा मुश्किल, कहा- 'G20 में G का मतलब...'