UP News: ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 500 इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने की योजना को गति मिल गई है. शहरी परिवहन निदेशालय द्वारा सोमवार को खोली गई फाइनेंशियल बिड में दो एजेंसियों का चयन किया गया है. इन एजेंसियों ने बस संचालन के लिए सबसे कम लागत का प्रस्ताव दिया, जिसके चलते उन्हें अंतिम रूप से चयनित किया गया.

यह पूरी परियोजना ग्रास कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट (GCC) मॉडल पर आधारित होगी, जिसमें बसों की खरीद, संचालन और रखरखाव का खर्च एजेंसियों द्वारा वहन किया जाएगा. इस योजना पर कुल 675 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है.

दो प्रकार की बसें सड़क पर उतरेंगी

250 बसें होंगी 9 मीटर लंबी, जिनमें 28 यात्रियों की क्षमता होगी (एक सीट दिव्यांग यात्री के लिए), 250 बसें होंगी 12 मीटर लंबी, जिनमें चालक और दिव्यांग यात्री को छोड़कर 36 यात्री बैठ सकेंगे.

अधिकारियों के अनुसार, दोनों एजेंसियों को बसें सड़क पर लाने में चार महीने से अधिक समय लग सकता है. शहरी परिवहन निदेशालय द्वारा मार्च 2025 में इस परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसमें कुल 9 एजेंसियों ने भाग लिया था. इनमें से एक एजेंसी तकनीकी परीक्षण में अयोग्य पाई गई.

सार्वजनिक परिवहन होगा बेहतर

इस परियोजना के जरिए पर्यावरण के अनुकूल और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही, एनसीआर क्षेत्र में बढ़ते ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करने में भी मदद मिलेगी.

नोएडा में बढ़ रहा परिवहन दबाब

एनसीआर में नोएडा और ग्रेटर नोएडा तेजी से बढ़ता औद्योगिक क्षेत्र है. लिहाजा यहां आबादी का तेजी से विकास हो रहा है, जिसमें परिवहन जैसी व्यवस्था प्राधिकरण के लिए विशेष चुनौती है. मेट्रो ने काफी हद तक कंट्रोल किया है, लेकिन बावजूद इसके अभी भी बड़ी संख्या में सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकता है. भविष्य में वाहनों की संख्या और सडकों की क्षमता देखते हुए ये फैसला लिया गया है.जिसका लाभ यहां के लोगों को जल्द ही मिलना शुरू हो जाएगा.