Wheat Export Ban Impact: भारत सराकर ने गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है कि गेहूं के निर्यात अब प्रतिबंधित सामानों की कैटेगरी में डाल दिया गया है. सराकर द्वारा गेहूं के निर्यात पर रोक के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके बीजेपी सरकार पर हमला बोला है. 


बुलडोजर तैयार है ना- अखिलेश यादव
अखिलेश यादव ने ट्वीट में लिखा, "गेहूं की सरकारी खरीद की जगह उद्योगपतियों को गेहूं बिकवाने के पीछे क्या भाजपा सरकार की मंशा ये है कि गरीब तक अनाज न पहुंचे. सरकार 'गेहूं खरीदी धांधली' की मुनादी कब पिटवाएगी. आम जनता की थाली पर 'आटा माफिया' का गैरकानूनी कब्जा हो रहा है. बुलडोजर तैयार है ना."


 


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पाबंदी लगाना किसानों के लिए 'अप्रत्यक्ष' कर 
इसके साथ ही किसान संगठन भारत कृषक समाज (बीकेएस) ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी को लेकर शनिवार को नाखुशी जताते हुए कहा कि कृषि उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी लगाना किसानों के लिए एक 'अप्रत्यक्ष' कर की तरह है. बीकेएस  अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने कहा कि "सरकार के इस कदम की वजह से किसान ऊंची वैश्विक कीमतों का लाभ नहीं उठा सकेंगे और भारत भी भरोसेमंद कारोबारी साझेदार के तौर पर अपनी विश्वसनीयता खो देगा. यह दुख की बात है कि भारत ने गेहूं निर्यात पर पाबंदी लगा दी. कृषि उत्पादों के निर्यात पर रोक लगाना किसानों के लिए एक अप्रत्यक्ष कर है."


किसान भी गेहूं का भंडार खो देंगे 
उन्होंने कहा कि पाबंदी लगाने के कारण कृषि उत्पादों की मूल कीमत कम हो जाती है और किसानों को ऊंची लागत अदा करने पर भी जिंसों के बढ़ते दामों का लाभ नहीं मिल पाता. जाखड़ ने साथ ही कहा, "आज न केवल व्यापारी बल्कि किसान भी गेहूं का भंडार खो देंगे. निर्यात पर इस तरह की रोक के कारण ही किसान बाजार सुधारों पर भरोसा नहीं करते. इससे भरोसा और टूटता है."


भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. पिछले वित्त वर्ष में देश ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात किया था और इस वर्ष एक करोड़ टन निर्यात करने की योजना थी.


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