Rapid Metro News: यूपी सरकार यातायात को आसान बनाने के लिए कई अहम कदम उठा रही है. बीते अक्टूबर के महीने में ही गाजियाबाद में रैपिड रेल के पहले फेज का उद्घाटन किया गया था. अब रैपिड रेल के जरिए गाजियाबाद से नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक कनेक्टिविटी देने की दिशा में काम शुरू हो गया है. इस योजना के मुताबिक गाजियाबाद से रैपिड रेल ग्रेटर नोएडा वेस्ट, परी चौक होते हुए नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचेगी.


यूपी सरकार ने नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (एनआईए) को दिल्ली और एनसीआर के अन्य हिस्सों से जोड़ने के लिए एक रैपिड रेल कॉरिडोर को मंजूरी दी है. प्रस्तावित मार्ग दिल्ली-मेरठ लाइन पर गाजियाबाद रैपिड रेल स्टेशन से निकलेगा. एयरपोर्ट तक 72.3 किमी का गलियारा तैयार किया जाएगा. 


ये 12 स्टेशन होंगे इस रूट पर


एनसीआर परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने एक व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार की है और 12 स्टेशन बनाने की योजना बनाई है. संभावना जताई जा रही है कि इस रूट पर पहले फेज में 2031 तक रैपिड रेल शुरू हो जाएगी और इसपर करीब 16 हजार करोड़ रुपये का खर्चा आएगा. बता दें कि, जेवर में एयरपोर्ट का निर्माण हो रहा है जोकि देश में सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा. 


कब शुरू होगा जेवर एयरपोर्ट?


जेवर एयरपोर्ट के पहले फेज की 2024 में पूरा होने की उम्मीद है और फिर अक्टूबर 2024 से इसे पैसेंजर के लिए खोला जा सकता है. बताया जा रहा है कि इस रूट पर गाजियाबाद, गाजियाबाद साउथ, ग्रेटर नोएडा वेस्ट सेक्टर-4, सेक्टर-2, नालेज पार्क-5, सूरजपुर, परी चौक, ईकोटेक-6, दनकौर, यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-18, सेक्टर-20, 21, नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्टेशन होंगे. 


गाजियाबाद से नोएडा एयरपोर्ट तक लगेगा इतना समय


इतना ही नहीं नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक गाजियाबाद से रैपिड रेल कनेक्टिविटी के बाद इसे आईजीआई एयरपोर्ट से भी जोड़ा जाएगा. इसमें ये रूट गाजियाबाद, सराय काले खां होकर आईजीआई से जुड़ेगा. इसके शुरू होने पर आईजीआई से नोएडा एयरपोर्ट तक करीब 80 मिनट, सराय काले खां से नोएडा एयरपोर्ट तक 70 मिनट, गाजियाबाद से नोएडा एयरपोर्ट तक करीब 50 मिनट और मेरठ से नोएडा एयरपोर्ट तक करीब 85 मिनट का समय लगेगा. 


क्या रही ट्रेन की फ्रीक्वेंसी?


इसके अलावा नाेएडा एयरपोर्ट से गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा के लिए ई-बसें भी चलेंगी. इस योजना पर पचास प्रतिशत राज्य सरकार और बीस प्रतिशत केंद्र सरकार खर्च करेगी. इस रूट पर छह कोच की ट्रेन को शुरुआत में नौ मिनट फ्रीक्वेंसी पर चलाने का सुझाव दिया गया है और फिर 2055 तक इसे चार मिनट करने की भी बात कही गई. 


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