एटा: जनपद में पिछले कई दिनों से सरकारी और निजी अस्पतालों में डेंगू के मरीज आने से जिला प्रशासन की चिंताएं बढ़ गईं हैं. एटा मेडिकल कॉलेज और निजी डॉक्टरों की क्लीनिक में खास कर बच्चों को दिखाने वालों की लंबी लंबी लाइनें लगीं हैं. सैकड़ों की संख्या में छोटे बच्चे निजी क्लीनिकों और मेडिकल कॉलेज, पीएचसी और सीएचसी में इलाज करवा रहे हैं. सरकारी मेडिकल कॉलेज में कार्ड से चेक करने पर 4 बच्चे डेंगू पॉजिटिव पाए गए हैं. कल मेडिकल कॉलेज एटा में भर्ती 3 वर्षीय बच्चे की बुखार के कारण मौत हो गयी. 


लखनऊ से एटा पहुंचे अधिकारियों ने लिया जायजा


मलेरिया, डेंगू और वायरल बुखार के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उत्तर प्रदेश शासन के नोडल अधिकारी ने जिला प्रशासन की तैयारियों का जायजा लिया. अंकित अग्रवाल ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी एटा डॉ उमेश कुमार त्रिपाठी और एटा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य और डॉक्टर्स के साथ एक मीटिंग कर डेंगू से निपटने की रणनीति बनाई. मुख्यमंत्री के निर्देश पर लखनऊ से एटा पहुंचे नोडल अधिकारी प्रमुख सचिव सहकारिता बाबू लाल मीणा ने भी जिला अधिकारी और चिकित्सकों के साथ बैठक की. उन्होंने एटा मेडिकल कॉलेज और निधौली कला के अस्पताल का निरीक्षण कर मरीजों को हर संभव इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने का आदेश दिया.


एटा में बिसरिया पैथोलोजी चलाने वाले एमबीबीएस डॉक्टर हर्ष वर्धन बिसरिया कहते हैं कि रोज 3 से 5 डेंगू के मामले और 3 से 4 मरीज मलेरिया के आ रहे हैं. उनका कहना है कि 10 में से 7 या 8 मरीजों में वायरल बुखार पाया जा रहा है. लेकिन इस बार का वायरल अन्य सालों के वायरल से अलग है. पहले वायरल 2 से 3 दिनों में सही हो जाता था और अब ठीक होने में 8 से 10 दिन लग रहे हैं. एटा के मशहूर बाल रोग विशेषज्ञ डॉ प्रदीप गुप्ता बताते हैं कि ज्यादातर वायरल बुखार के मामलों का पता चल रहा है. 70 से 80 फीसदी वायरल बुखार के मरीजों की संख्या देखी जा रही है. कुछ मलेरिया के और दो तीन चार दिनों से कुछ डेंगू का मामला भी आने लगा है. पिछले 5 से 6 दिनों में डेंगू के 6 से 7 मरीजों को देखा जा चुका है.


बच्चों में मलेरिया, डेंगू और वायरल बुखार के बढ़े मामले 


उन्होंने कहा कि कई बार डेंगू और मलेरिया निगेटिव होने पर भी मरीज की प्लेटलेट्स गिर जाती है. उन्होंने क्लिनिक के सामने नगर पालिका के रखे कूड़ा की सफाई करवाने की अपील की. एटा मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर राजेश गुप्ता ने बताया कि आजकल औसतन रोज 150 से 200 बच्चे और व्यस्क बुखार के पीड़ित आते हैं. ज्यादातर का ओपीडी में इलाज हो रहा है. 4 से 5 बच्चे कल बुखार पीड़ित थे, तो  उनको भर्ती भी किया गया है. उन्होंने बताया कि डेंगू बुखार से निपटने के सारे उपाय किये जा रहे हैं, कोरोना मरीजों के लिए बनाए गए 110 बेड को डेंगू,मलेरिया मरीजों के लिए रिजर्व किया गया है. पीड़ितों को परेशानियों से बचाने के लिए फीवर हेल्प डेस्क बनाई गई है. चौबीसों घंटे डॉक्टर्स का ड्यूटी चार्ट बनाया गया है.


उन्होंने बताया कि हमारे पास 36 वेन्टीलेटर्स हैं, 24 जम्बो साइज के ऑक्सिजन सिलेंडर हैं, 87 बेड पर सेंट्रल ऑक्सिजन सप्लाई है. 4 पीडीएट्रिक डॉक्टर, 1 सीनियर रेजिडेंट, 4 जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर और 17 नर्सों की चौबीसों घंटे डयूटी लगाई गई है. जब उनसे पूछा गया कि डेंगू के कितने मरीज हैं तो उन्होंने कहा कि इसकी ठीक-ठीक जानकारी नही है. उन्होंने बताया कि एटा मेडिकल कॉलेज में कुल 100 डॉक्टर हैं और सभी काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि डेंगू को रोकने के लिए पानी को जमा होने से रोकना होगा. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बुखार से 3 साल के बच्चे अनिकेत की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि ये बच्चा कुरावली जनपद मैनपुरी में अपनी मां के साथ रह रहा था. बीमार पड़ने पर परिजन दिखाने एटा मेडिकल कॉलेज में लाए थे. स्थिति बिगड़ने के बाद उसे सैफई मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया और वहां से परिजन किसी निजी अस्पताल में ले गए जहां उसकी मौत हो गयी. 


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