किसान गुरुवार को अपने आंदोलन को खत्म करने की घोषणा कर सकते हैं. संयुक्त किसान मोर्चा की बुधवार को हुई बैठक में सरकार के प्रस्ताव पर किसान संगठनों में सहमति बन गई. सरकार ने किसान आंदोलन में किसानों पर दर्ज एफआईआर रद्द करने की बात मान ली है. सरकार ने बिजली को लेकर लाए जाने वाले विधेयक पर भी किसानों से चर्चा पर सहमत है.


इसके अलावा किसानों के प्रतिनिधि एमएसपी पर बनने वाली सरकारी समिति में भी शामिल होंगे. मोर्चा में शामिल संगठन इस पर सहमत हैं. इस तरह पिछले एक साल से अधिक समय से जारी ऐतिहासिक किसान आंदोलन एक अच्छे मुकाम पर आकर खत्म हो सकता है. आंदोलन के जरिए किसान सरकार से अपनी मांगें मनवाने में सफल रहे हैं. यह किसान आंदोलन की जीत या सफलता है.    


किसानों के आगे झुकी सरकार


नरेंद्र मोदी सरकार पिछले साल तीन कानून लाई थी. तीनों कानून खेती-किसानी से जुड़े थे. किसानों का आरोप था कि ये कानून कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं. उनका कहना था कि अगर ये कानून लागू हुए तो किसान तबाह हो जाएंगे. इन कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी की मांग को लेकर उन्होंने दिल्ली कूच किया था. सरकार ने उन्हें दिल्ली में नहीं घुसने दिया था. इसके बाद किसान दिल्ली की सीमाओं पर धरने पर बैठ गए. यह धरना तभी से जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा की कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी. उन्होंने कहा था कि सरकार एमएसपी पर एक कमेटी बनाएगी. कृषि कानूनों को लेकर प्रधानमंत्री ने देश से माफी भी मांगी. उनका कहना था कि वो अपनी बात किसानों को नहीं समझा पाए. सरकार ने 29 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में बिल लाकर कानूनों को वापस भी ले लिया. इसके बाद से ही किसान आंदोलन के खत्म होने की बात की जा रही थी.  


Farmers Protest: आज खत्म हो जाएगा किसान आंदोलन? सरकार के प्रस्ताव पर किसान मोर्चा के बीच बनी सहमति


सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव के मुताबिक उत्तर प्रदेश और हरियाणा आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा देने पर तैयार हैं. लेकिन किसान पंजाब सरकार की तरह मुआवजे की मांग कर रहे हैं. साथ ही वो किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की समय सीमा भी सरकार से चाहते हैं. सरकार की ओर से इन मांगों और प्रस्तावों पर पक्की सहमति मिलने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा गुरुवार दोपहर आंदोलन को खत्म करने की घोषणा कर सकता है. इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक गुरुवार दोपहर 12 बजे सिंधु बार्डर पर बुलाई गई है. इसी में आंदोलन खत्म करने का फैसला होगा. 


अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी की मांग का क्या होगा


लखीमपुर में हुई हिंसा के बाद किसानों ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी की मांग भी की थी. लेकिन अब उन्होंने इस मामले पर चुप्पी साध ली है. देखना होगा कि आज की बैठक में वो इस पर क्या रुख अपनाते हैं.  


माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने नरम रुख अपनाया. सरकार ने पहले तीनों कृषि कानून वापस लेने और एमएसपी पर कमेटी बनाने की बात कही. अब उसने किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर सहमति जताई है. दरअसल राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी को उत्तर प्रदेश और पंजाब के चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है. पश्चिम उत्तर प्रदेश और पंजाब में किसान आंदोलन की जड़े बहुत गहरी हैं. इन दोनों जगहों पर बीजेपी के खिलाफ माहौल है. इसे देखते हुए ही सरकार ने यह कदम उठाया.


CDS Bipin Rawat और उनकी पत्नी Madhulika Rawat का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन, जानिए- उनके परिवार के बारे में


हाल के सालों में देश में इतना बड़ा और सफल आंदोलन नहीं देखा गया है. इस आंदोलन की वजह से सरकार को कानून को ही वापस लेना पड़ा. किसानों ने अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए यह मुकाम हासिल किया है. ऐसे में इस आंदोलन की गूंज आने वाले समय में सुनाई देगी.