लखनऊ, एजेंसी। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि यूपी में अभी स्मार्ट मीटर नहीं लगेंगे. श्रीकांत शर्मा ने आज यहां पत्रकारों से बताया, "बिना पूर्व तैयारी के कदम उठाने में खामी उपभोक्ता को झेलनी पड़ती है. इसी कारण स्मार्ट मीटर की सारी कमियां दूर करने के बाद ही यूपी में अब मीटर लगेंगे. क्योंकि आगे चलकर जो नए कनेक्शन की ओर आगे बढ़ेंगे. अभी तक जो अनियमितता देखने को मिली है, जब तक वह दूर नहीं हो जाते, तब तक प्रदेश में स्मार्टमीटर नहीं लगेगा. सारे सिस्टम दुरुस्त होने के बाद नए कनेक्शन प्रीपेड किये जायेंगे. इसके लिए सबकी जवाबदेही तय होगी. यूपी को पूरे देश मे बिजली के मामले में आदर्श राज्य ही बनाना है. इसमें कुछ कमियां आई हैं, जिन्हें ठीक किया जा रहा है. अभियान रुकने वाला नहीं हैं. सिस्टम मजबूत बनाने के बाद ही आगे बढ़ेंगे. अभी जन्माष्टमी वाली घटना हमारे लिए सबक है. अभी हम लोग इसकी खमियां ठीक कर रहे हैं. मीटर जम्प करने की जो कमेटी बनी है, उसने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है. 15 दिन के अंदर सभी प्रकार की खमियां दूर की जएंगी."


उन्होंने कहा, "जब तक उपभोक्ता संतुष्ट नहीं होंगे, तब तक इस अभियान को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा. स्मार्ट मीटर जम्प करने, और पैसे जमा होने के बाद भी बिजली कट जाना इन सब मामलों में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है. स्मार्ट मीटर हाइलॉस फीडर में लगाया जाना था, लेकिन फिर भी यह सभी जगह लग गया. स्मार्ट मीटर की खामी ठीक होने पर दो तीन जगह ट्रायल के बाद ही आगे इस पर कदम बढ़ाया जाएगा. स्वयत्ता के नाम पर मनमानी नहीं चलेगी. गलती करने वाला अब बच नहीं पाएगा.''


उत्तर प्रदेश पॉवर कॉपोर्रेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एम देवराज ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला लिया है. दरअसल यूपीपीसीएल के एमडी ने स्मार्ट मीटर बनाने वाली कंपनियों को यह आदेश दिया है कि वह फिलहाल राज्य में बिजली के स्मार्ट मीटर की स्थापना का काम रोक दें. इस फैसले को लेकर विभाग की ओर से एक पत्र भी जारी किया गया है. अभी प्रदेश में ईईएसएल की ओर से 40 लाख स्मार्ट मीटर बनाने का काम किया जा रहा है. गौरतलब हो कि यह फैसला राज्य में लगातार स्मार्ट मीटर में आ रही शिकायतों के चलते लिया गया है.


उल्लेखनीय है कि जन्माष्टमी के दिन यानि 12 अगस्त को बिजली बिल जमा होने के बावजूद अचानक लाखों कनेक्शन कट गए थे. लखनऊ में भी करीब एक लाख कनेक्शन कट गए थे, जिसमें कई मंत्रियों और विधायकों के घर भी शामिल थे. मामला गंभीर होने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रकरण की जांच एसटीएफ से कराने का आदेश दिया. वहीं निमायक आयोग ने भी यूपीपीसीएल से जवाब मांगा है.


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