Lakhimpur Kheri Violence Case: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की सुनवाई से जुड़ी जानकारी से उसे अवगत कराते रहने का मंगलवार को निर्देश दिया. न्यायालय ने, हालांकि इस बात से इनकार किया कि मामले की सुनवाई ‘धीमी गति’ से चल रही है. केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Union Minister Ajay Kumar Mishra son Ashish Mishra) 2021 में हुई लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी हैं. इस हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी. शीर्ष अदालत ने कहा कि हालांकि मामले की सुनवाई उसकी निगरानी में नहीं हो रही है, लेकिन वह ‘अप्रत्यक्ष रूप से इस पर नजर बनाए हुए है.’


न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने कहा कि 25 जनवरी के उसके आदेश में दिए अंतरिम निर्देशों का पालन किया जाए. शीर्ष अदालत ने 25 जनवरी को आशीष मिश्रा को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी थी. पीड़ितों के परिजनों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने पीठ को बताया कि अभियोजन पक्ष के करीब 200 गवाहों से पूछताछ की गई है और वह ‘मुकदमे की धीमी सुनवाई’ को लेकर चिंतित हैं. पीठ ने कहा, ‘‘सुनवाई धीमी नहीं है. हमें सुनवाई कर रहे न्यायाधीश से तीन पत्र मिले हैं.’’


परोक्ष रूप से बनाए हुए हैं नजर-पीठ
न्यायालय ने कहा कि उसने लखीमपुर खीरी के प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश से मिले पत्रों पर गौर किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि पत्रों के अनुसार तीन गवाहों से पूछताछ समाप्त हो चुकी है, जबकि एक गवाह से जिरह की जा रही है. पीठ ने कहा, ‘‘हम निगरानी शब्द का इस्तेमाल नहीं कर रहे, लेकिन हम सुनवाई पर परोक्ष रूप से नजर बनाए हुए हैं और इसे जारी रखेंगे.’’


घटना में हुई थी आठ लोगों की मौत
उच्चतम न्यायालय ने 25 जनवरी को आशीष मिश्रा को आठ सप्ताह की अंतरिम जमानत दे दी थी और जेल से छूटने के एक सप्ताह के भीतर उन्हें उत्तर प्रदेश छोड़ने का निर्देश दिया था. लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का किसानों द्वारा विरोध किए जाने के दौरान तीन अक्टूबर, 2021 को हुई हिंसा में आठ लोगों की मौत हो गई थी. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था और इस एसयूवी में आशीष मिश्रा बैठे थे.


इस घटना के बाद एसयूवी के चालक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो कार्यकर्ताओं को गुस्साए किसानों ने कथित रूप से पीट-पीटकर मार डाला था. हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी. मिश्रा की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया कि 25 जनवरी के आदेश के बाद उनके मुवक्किल को जेल से रिहा कर दिया गया और वह हर सुनवाई पर निचली अदालत में पेश हो रहे हैं.


निचली अदालत देती रहे जानकारी-पीठ
पीठ ने कहा कि उन्हें निचली अदालत के न्यायाधीश से पत्र मिले हैं कि सुनवाई जारी है और गवाहों से पूछताछ की जा रही है. पीठ ने मामले को मई के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा, ‘‘निचली अदालत सुनवाई से जुड़ी जानकारी इस अदालत को देती रहे.’’ शीर्ष अदालत ने 13 फरवरी को मामले पर सुनवाई करते हुए कहा था, ‘‘(निचली अदालत में) सुचारू सुनवाई सुनिश्चित करने के लिए हम निर्देश देते हैं कि दोनों प्राथमिकियों के आरोपियों के अलावा प्रत्येक आरोपी या शिकायतकर्ता के एक-एक प्रतिनिधि और उनके संबंधित वकील ही मौजूद रहेंगे.’’


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