देहरादूनः राजनीति में कुर्सी की लड़ाई आपने बेशक देखी होगी, लेकिन जब यह लड़ाई संतो तक पहुंच जाएं तो इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि कुर्सी के लिए लड़ाई किसी भी हद तक हो सकती है. हरिद्वार में इसी साल कुंभ का आयोजन होना है. यह आयोजन कब होगा इसको लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है.


राज्य सरकार कोरोना के साए में कुंभ के आयोजन को लेकर असमंजस की स्थिती में है. फिलहाल सरकार अपने स्तर से तैयारी में जुटी है और महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने की तैयारी चल रही है, लेकिन जो संत कुंभ की रौनक होते हैं उनमें अब विरोध शुरू हो गया है.


बैरागी-आणि अखाड़ा हुआ नाराज


दरअसल, एक तो कुंभ के कामों को लेकर साधु-संत पहले से ही नाराज हैं. इसे लेकर दो धड़ों में बंट चुके साधु-संत के एक पक्ष अखाड़ा परिषद कुंभ के अधूरे पड़े कामों को लेकर खुलकर विरोध नहीं जता रहा है. वहीं बैरागी-आणि अखाड़े काम पूरे न होने का खुलकर विरोध कर रहे हैं.


बैरागी-आणि अखाड़ों का ये आरोप है कि न तो मेला प्रशासन और न ही अखाड़ा परिषद उनका सहयोग दे रहा है. उनका कहना है कि ऐसे अखाड़ा परिषद के साथ जुड़ने का कोई औचित्य नही है. बैरागियों ने अखाड़ा परिषद को असंवैधानिक बता दिया है और चुनाव की मांग की है.


अखाड़ा परिषद को बताया असंवैधानिक


बता दें कि अखाड़ा परिषद का चुनाव देश के सभी 13 अखाड़े मिलकर करते हैं. जिसमें अध्यक्ष, महामंत्री और अन्य पदों पर चुनाव होते हैं. बैरागी आणि अखाड़ों का ये आरोप है कि अखाड़ा परिषद में संन्यासियों के लिए और बैरागियों के लिए बराबर पद होते हैं. वर्तमान में अध्यक्ष और महामंत्री पद पर संन्यासी ही काबिज है. इसलिए यह असंवैधानिक है.


फिलहाल बैरागी-आणि अखाड़ों ने अखाड़ा परिषद से नाता तोड़ दिया है और ये ऐलान किया है कि अखाड़ा परिषद असंवैधानिक है. उन्होंने इसके लिए फिर से चुनाव कराए जाने की बात रखी है. बैरागी-आणि के सभी संतो ने कुंभ के कार्यों से नाखुश होकर मेला प्रशासन और सरकार को भी आड़े हाथों लिया है. उन्होंने सरकार पर यह आरोप लगाया कि मेला प्रशासन और सरकार बैरागी-आणि अखाड़ों को हल्के में ले रहे हैं, जबकि कुंभ की रौनक हम ही से है.


अखाड़ा परिषद में चुनाव की मांग


उनका कहा है कि पूरी तरह से जिम्मेदार अखाड़ा परिषद है. दिगम्बर अखाड़े के सचिव बाबा हठयोगी ने साफ कहा कि अखाड़ा परिषद सिर्फ कुछ संत और अखाड़ों को लेकर ही चल रहे हैं और मनमानी काम करा रहे हैं. जबकि बैरागी अखाड़ों को किसी भी तरह की सुविधा नहीं मिल रही है.


बाबा हठयोगी ने साफ कहा कि सरकार और प्रशासन भी कुछ अखाड़ों का ही साथ दे रहे हैं. बाबा हठयोगी ने कहा कि यह परंपरा है कि अखाड़ा परिषद में अध्यक्ष और महामंत्री पद में एक संन्यासी और एक बैरागी से होता है, लेकिन फिलहाल अखाड़ा परिषद में बैरागी को कोई पद नहीं दिया गया है.


वहीं अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा कि विरोध करने का सबको अधिकार है. प्रजातंत्र में मुख्यमंत्री और पीएम का भी विरोध होता है लेकिन विरोध कौन कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण होता है. फिलहाल उन्होंने कहा कि महामंत्री होने के नाते उनका दायित्व है कि वह सभी को एकजुट करें और यही आगे भी प्रयास किया जाएगा.


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