नई दिल्ली: गाज़ियाबाद के मुरादनगर में श्मशान घाट की गैलरी की छत गिरने की घटना में 25 लोगों की मौत को क्या महज एक हादसा कहना सही होगा? दरअसल श्मशान घाट की गैलरी का निर्माण लगभग 2 महीने पहले ही पूरा हुआ था और लेंटर 15 दिन पहले ही खुला था. इसके लिए 55 लाख रुपये का ठेका दिया गया था. जिस तरह की निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया, उस पर मौके पर आई एनडीआरएफ की टीम ने भी सवाल भी उठाए हैं. इस मामले में गाज़ियाबाद पुलिस ने मुरादनगर थाने में एफआईआर दर्ज करने के बाद नगर पालिका के 3 अधिकारियों, ईओ निहारिका सिंह, जेई सीपी सिंह और सुपरवाइजर आशीष सिंह को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि ठेकेदार अजय त्यागी अभी भी फरार है. उसकी तलाश में 4 टीमों को लगाया गया है. इस मामले में किसी और के भी शामिल होने की बात सामने आती है, तो उसे भी गिरफ्तार किया जाएगा. हालांकि पुलिस ने अभी तक निर्माण सामग्री की जांच के लिए टेक्निकल टीम को नहीं बुलाया गया है. एसपी देहात इरज राजा का कहना है कि टेक्निकल टीम को बुलाकर जांच करवाई जाएगी.


मुरादनगर में हुई श्मशान घाट की घटना में 25 लोगों की मौत के मामले में सोमवार दिन भर एनएच-58, दिल्ली मेरठ रोड पर जाम लगा रहा. वजह रही घटना में मारे गए लोगों के परिजनों की नाराजगी, जो सरकार और प्रशासन के रुख से खफा नज़र आए. उनके गुस्से का कारण था सरकार की तरफ से घोषित की गई मुआवजा राशि. परिजनों का कहना है कि मृतक के परिवार को कम से कम 15 लाख रुपये की आर्थिक मदद दी जाए, साथ ही एक सदस्य को सरकारी नौकरी. जबकि सरकार ने महज 2-2 लाख रुपये का मुआवजा ही घोषित किया है.


केस स्टडी-1
गंगा विहार में रहने वाले एक ही परिवार के 3 लोगों की मौत हो गई. प्रमोद, रोबिन और नितिन. रॉबिन और नितिन भाई थे. प्रमोद पिता. तीनों ही छोटा मोटा काम करते थे. आज सुबह लगभग 9 बजे तीनों के शवों को लाया गया, जिसके बाद परिजनों ने तीनों शवों को सड़क पर रख कर प्रदर्शन शुरू कर दिया. परिजनों का कहना है कि इस घर के तीनों पालक अब दुनिया में नहीं रहे हैं. रॉबिन और नितिन शादीशुदा थे और उनके छोटे छोटे बच्चे हैं. अब घर मे सिर्फ महिलाएं और बच्चे बचें हैं. परिवार के सामने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है. सरकार ने महज 2-2 लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही है, जो काफी नहीं है. मांग है कि 15 लाख रुपये मुआवजा राशि और परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए.


केस स्टडी 2-
सुनील, निवासी संगम विहार कॉलोनी, उखरालसी गांव: सुनील के परिवार में पत्नी और 4 बच्चे हैं. सुनील मजदूरी करते थे. किराए के मकान में रहते थे. वह ही परिवार के अकेले कमाने वाले थे. रोज कमाना और रोज खाना. अब परिवार के सामने दो वक्त की रोटी के साथ साथ रहने के लिए घर का संकट भी खड़ा हो गया है.

केस स्टडी- 3
नीरज, निवासी संगम विहार, उखलारसी गांव: नीरज उर्फ बंटी भी परिवार के अकेले कमाने वाले थे. छोटा-मोटा काम करके गुजर बसर कर रहे थे. उनके परिवार में पत्नी, बेटा और बेटी है. बूढ़ी मां हैं. पत्नी की तबियत खराब रहती है. अब परिवार के सामने जीवन यापन का संकट है. इसलिए वे शव को सड़क पर रख कर प्रदर्शन कर रहे हैं.


केस स्टडी- 4
ओंकार सिंह: ओंकार सिंह भी मजदूरी करते थे. परिवार में बच्चे और पत्नी है. परिवार के मुखिया होने के नाते वे ही इकलौते कमाने वाले भी थे. इस घटना ने पूरे परिवार को तोड़ कर रख दिया है.


पुलिस का क्या कहना है
पुलिस ने नगर पालिका की ईओ निहारिका सिंह समेत 3 अधिकारियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. तीनों ने पूछताछ में अहम खुलासे किए हैं, जो जांच की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. एक आरोपी( ठेकेदार अजय त्यागी) की तलाश में 4 टीमें लगी हुई हैं. अजय त्यागी के खिलाफ सिहानी गेट थाने में पहले से ही एक मामला दर्ज बताया गया है. उसकी भी जानकारी जुटाई जा रही है.


नगर परिषद के चेयरमैन विकास तेवतिया और ठेकेदार अजय त्यागी के बीच कोई सांठगांठ थी या नहीं, इस सवाल पर एसपी इरज राजा का कहना है कि जांच की जा रही है. अजय त्यागी ने ठेका आगे किसी और को दिया था या नहीं यह भी जांच की जा रही है. टेंडर देने में क्या प्रक्रिया अपनाई गई, उसकी भी जांच की जा रही है.


एक ही गली में 7 मौतें
संगम विहार, उखलारसी गांव की एक ही गली में मातम का माहौल है. गली के अलग अलग घरों में 7 लोगों की मौत हुई है. अधिकतर लोग अपने घर में अकेले कमाने वाले थे. इस गली में रहने वाले जितने भी लोगों की मौत हुई है, उनके शवों को रख कर एनएच-58 पर प्रदर्शन किया जा रहा है.


सुबह से ही लगा रहा जाम, योगी खुद आकर करें वादा
एनएच-58 पर आज सुबह से दोनों तरफ जाम लगा रहा. जाम का कारण घटना में मारे गए लोगों के शवों को सड़क पर रख कर प्रदर्शन करना था. इस दौरान एसडीएम आदित्य प्रजापति लोगों को समझाने का प्रयास करते रहे. उन्होंने लिखित में आश्वासन भी दिया, लेकिन लोग नहीं माने. उनका कहना था कि मुख्यमंत्री योगी खुद यहां आएं. मृतकों के परिजनों की व्यथा को जानें और कम से कम 15 लाख रुपये का मुआवजा व सरकारी नौकरी का वादा करें.


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