Badrinath Dham Yatra: भू-बैकुंठ बदरीनाथ धाम की यात्रा निर्बाध रूप से जारी है. पिछले पांच दिनों से धाम में लगातार श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने से चारधाम यात्रा मार्ग एवं बदरीनाथ में स्थित होटल व्यवसायी एवं अन्य कारोबारियों के चेहरे खिल उठे है. तीर्थयात्रियों की चहल पहल से पूरे यात्रा मार्ग पर रौनक बनी हुई है. इधर, बद्रीनाथ धाम की यात्रा को सुगम एवं व्यवस्थित तरीके से संचालन को लेकर पूरा प्रशासन रात दिन जुटा है. यात्रा पड़ावों पर बिजली, पानी, शौचालय सहित तीर्थयात्रियों को अन्य जरूरी सुविधाएं मुहैया की जा रही है. चिकित्सा टीम द्वारा तीर्थयात्रियों को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं देकर उपचार किया जा रहा है. धाम में 20 मई तक 139656 श्रद्धालु दर्शन कर चुके है.


देवभूमि उत्तराखंड के जनपद चमोली में ही पंच बद्री धाम स्थित है. तीर्थयात्री बद्रीनाथ के साथ-साथ चमोली में ही नारायण के अन्य चार बद्री धामों के भी दर्शन कर सकते है. इन पंच बद्री धामों में हर धाम का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इन सभी पांचों धामी में भगवान बसते है. पहला धाम श्री बद्रीनाथ इस स्थान पर भगवान विष्णु ने तपस्या की थी. इस मंदिर की स्थापना स्वयं आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी.


सबसे पुराना है दूसरा बद्रीधाम
दूसरा धाम आदि बद्री है. आदि बद्री को पंच बद्री में सबसे पुराना माना जाता है. इस मंदिर में भगवान विष्णु की काले पत्थर से बनी प्राचीन प्रतिमा स्थापित है. ये मूर्ति ध्यान अवस्था में है. मूर्ति के चारों ओर हाथी हैं, जो शक्ति और स्थिरता का प्रतीक माने जाते हैं. आदिबद्री मंदिर के लिए कर्णप्रयाग से गैरसैंण सड़क मार्ग पर वाहन से करीब 10 किमी दूरी तय कर पहुंचा जाता है. तीसरा धाम वृद्ध बदरी है. ये मंदिर भी चमोली में है. इस मंदिर का वर्णन अनेक हिंदू धर्म ग्रंथों में मिलता है. यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है. वृद्ध बद्री को मोक्ष प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है यानी ऐसी मान्यता है कि वृद्ध बद्री के दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है. वृद्ध बद्री मंदिर बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर अणीमठ में स्थित है.


चौथा धाम है योग-ध्यान बद्री-ये मंदिर पंच बद्री में चौथे स्थान पर है. ये मंदिर भी चमोली में ही है योग-ध्यान बद्री को भगवान बद्रीनाथ का शीतकालीन निवास भी कहा जाता है यानी ऐसी मान्यता है कि शीतकाल के दौरान जब मुख्य बद्रीनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं तो वे यहां आकर निवास करते हैं इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण और महाभारत में भी मिलता है यह मंदिर बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर पांडुकेश्वर में स्थित है.
 
पंच बद्री के दर्शन के हैं विशेष महत्व
पांचवा धाम है भविष्य बद्री-ये मंदिर भी चमोली में ही स्थित है. भविष्य बद्री का अर्थ है भविष्य का बद्रीनाथ ऐसी मान्यता है कि कलयुग के अंत में जब मुख्य बद्रीनाथ मंदिर जाने के रास्ते बंद हो जाएंगे तो भक्त यहीं पर दर्शन कर बद्रीनाथ के दर्शन का फल प्राप्त कर सकेंगे. यहां भी भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है भविष्य बद्री के लिए जोशीमठ से करीब 08 किलोमीटर सड़क मार्ग से पहुंचा जाता है. चमोली में पंच बदरी के साथ ही पंच केदार में शामिल चतुर्थ केदार रुद्रनाथ और पंचम केदार कल्पेश्वर धाम भी मौजूद हैं. भक्त इनके भी दर्शन कर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.


पहला केदार, रुद्रनाथ- पंच केदारों में चतुर्थ केदार रुद्रनाथ में भगवान शिव के दक्षिणमुखी एकानन मुख के दर्शन होते हैं. मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गोपेश्वर पहुंचना होता है. जहां से 3 किमी की दूरी वाहन से पार कर सगर गांव पहुंचा जाता है. जहां से तीर्थयात्रियों को 19 किमी की पैदल दूरी तय करनी होती है. यात्रा जहां आस्थावान तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर है. वहीं फोटोग्राफर, वनस्पति विज्ञानियों और साहसिक यात्रा करने वालों के लिए भी यह स्थान बेहतर है.


कल्पेश्वर केदार में होते हैं शिव की जटाओं के दर्शन
दूसरा केदार कप्लेश्वर - पंचम केदार के रूप में विख्यात कल्पेश्वर मंदिर में भगवान शिव की जटाओं के दर्शन होते हैं. यह मंदिर जोशीमठ ब्लॉक की उर्गम घाटी में स्थित है. यहां पहुंचने के लिये बदरीनाथ हाईवे के हेलंग पड़ाव से 14 किमी की यात्रा वाहन से करनी पड़ती है. यह मंदिर वर्षभर श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खुला रहता है. इन सभी जगह के दर्शन आप अपनी चार धाम यात्रा के दौरान ही कर सकते हैं अपने समय का सदुपयोग कर उत्तराखंड आने वाले तमाम तीर्थ यात्री इन धर्मों पर जाकर भी भगवान विष्णु के दर्शन कर पुण्य अर्जित कर सकते हैं.


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