Budhiya Mai Mandir Gorakhpur: गोरखपुर के कुसम्ही जंगल में स्थित बुढ़िया माता का मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक बना हुआ है. मान्यता है कि लकड़ी के पुलिया के पास बैठी बुढ़िया माता ने वहां से जा रही बारात के लोगों से नाच दिखाने के लिए कहा बारात में शामिल जोकर ने तो नाच दिखा दिया, लेकिन किसी और ने उन्हें नाच नहीं दिखाया. लकड़ी की पुलिया पर चढ़ते ही पुलिया टूट गई और सारे बाराती पोखरे में डूब कर मर गए.


अकाल मृत्‍यु से भी भक्‍तों की रक्षा करती हैं मां 


तभी से लोग बुढ़िया माता के मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं. शारदीय नवरात्रि में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ दर्शन के लिए जुट जाती है. मान्यता है कि यहां भक्‍त जो भी मुराद मांगते हैं, वो पूरी हो जाती है. मां अकाल मृत्‍यु से भी भक्‍तों की रक्षा करती हैं. गोरखपुर शहर से पूरब स्थित कुसम्ही जंगल निश्चित बुढ़िया माता का मंदिर काफी प्रसिद्ध है. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की भी इस मंदिर में बड़ी आस्‍था है. गोरखपुर प्रवास के दौरान सोमवार को वे गोरखपुर के बुढ़िया माता मंदिर में नवरात्रि के पहले दिन दर्शन और निरीक्षण के लिए आए.


इस दौरान सभी श्रद्धालुओं का भी उन्‍होंने कुशलक्षेम पूछा. मंदिर के केयरटेकर जगत राय बताते हैं कि दूर-दराज से श्रद्धालु यहां पर दर्शन के साथ मुंडन और अन्य शुभ संस्कार करने के लिए आते हैं. नवरात्रि के अवसर पर आस्था के प्रतीक देवी मां के इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.


हलवा पूड़ी चढ़ाते हैं भक्त


यहां आने वाले श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ कढ़ाई चढ़ाते हैं. हलवा-पूड़ी बनाते हैं और माता के चरणों में अर्पित करते हैं. नवरात्रि में 9 दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु माता के दरबार में मत्था टेकने जरूर आते हैं. गोरखपुर और आसपास के जिलों के अलावा नेपाल से भी यहां पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला वर्ष भर जारी रहता है.


मान्‍यता है कि आस्था का प्रतीक यह मंदिर काफी प्राचीन है. सदियों पहले यह क्षेत्र वनाच्छादित होने के साथ ही विशालकाय बट वृक्षों से पटा हुआ था. किवदंती है कि सदियों पहले यहां पर एक बुढ़िया माता पुलिया के किनारे बैठी थीं. उसी दौरान लकड़ी की पुलिया से बारात जाने लगी बुढ़िया माता ने बारातियों से नाच दिखाने के लिए कहा. लेकिन बारातियों ने नाच नहीं दिखाया. इसके बाद बारात के लकड़ी के पुलिया पर चढ़ते ही पुलिया टूट गई और बारात पोखरे में समा गई. बुढ़िया माता को नाच दिखाने वाला एक जोकर बच गया.


सदियों पुराने बुढ़िया माता के मंदिर में श्रद्धालु बरसों से हर नवरात्रि पर यहां आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. बुढ़िया माता उन्हें आशीर्वाद देती हैं और उन्हें धन-धान्य से परिपूर्ण करती हैं. यहां पर पिछले 25 वर्षों से दर्शन के लिए आने वाले सत्‍य जायसवाल और प्रियंका जायसवाल बताती हैं कि उनकी बुढि़या माता मंदिर में बड़ी आस्‍था है.


माता उनके परिवार और बच्‍चों की रक्षा करती हैं. उनके दरबार में मांगी गई सभी मुराद भी पूरी होती है. उन्‍होंने बताया कि लोगों की इस मंदिर में बड़ी आस्‍था है. संजय जायसवाल कहते हैं कि दूर-दराज से लोग सदियों पुराने इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं.


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