प्रयागराज. यूपी में हो रहे ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सियासी पार्टियां और उम्मीदवार हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. उम्मीदवारों के सामने सबसे बड़ी चुनौती किसी बड़ी सियासी पार्टी का समर्थन हासिल करने की है, ताकि पार्टी के नाम और उसके नेताओं के रसूख के सहारे मझदार में फंसी चुनावी नैया को पार लगाया जा सके. इन चुनावों में कई ऐसे नेता सामने आए जो किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं मिलने की वजह से या तो घर बैठ गए या फिर निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर ताल ठोंककर दूसरों का गणित बिगाड़ रहे हैं.


हालांकि संगम नगरी प्रयागराज में निर्विरोध निर्वाचित हुए एक नेता जी के साथ इसका ठीक उल्टा हुआ. नेता जी इतने खुशनसीब निकले कि उन्हें एक या दो नहीं बल्कि तीन-तीन बड़ी पार्टियों ने अपना उम्मीदवार घोषित किया था. अब इनके निर्विरोध चुने जाने के बाद तीनों ही पार्टियां अपनी-अपनी जीत के दावे कर रही हैं. पार्टियां पहले जारी की गई उम्मीदवारों की लिस्ट में इनके नाम को दिखाकर खुद वाहवाही लूटने में लगी हैं. सियासी समझ दिखाते हुए आखिरकार उन्होंने सत्ता पक्ष का ही झंडा उठाने की बात कही है.


प्रतापपुर सीट का है मामला
ये दिलचस्प मामला गंगापार इलाके की प्रतापपुर सीट पर हुआ है. यहां निर्विरोध निर्वाचित हुए शैलेश यादव की पहचान खांटी समाजवादी नेता के तौर पर होती रही है. सपा में वह लंबे अरसे से सक्रिय भूमिका निभाते रहते हैं. सपा जिलाध्यक्ष योगेश यादव ने चुनाव तारीखों के एलान से पहले ही पार्टी उम्मीदवारों की जो सूची जारी की थी, उसमे सातवें नंबर पर शैलेश यादव का नाम था. पार्टी ने शैलेश को प्रतापपुर ब्लॉक से अपना अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया था.


आठ जुलाई की सुबह कांग्रेस पार्टी ने भी शैलेश को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया. कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सुरेश यादव ने अपने लेटर पैड पर शैलेश को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने का एलान किया. सपा ने बाद में इस सीट से राधा देवी को प्रत्याशी बना दिया. वहीं, बीजेपी ने सात जुलाई को अपने उम्मीदवारों के नाम की जो सूची जारी की थी, उसमे प्रतापपुर ब्लॉक से सीमा देवी विश्वकर्मा का नाम दिया था. आठ जुलाई को दोपहर में बीजेपी जिलाध्यक्ष अश्विनी कुमार द्विवेदी ने सीमा विश्वकर्मा का टिकट काटकर शैलेश यादव को पार्टी का अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने की सूचना जारी कर दी.


निर्विरोध जीते शैलेश यादव
नौ जुलाई को नाम वापसी के बाद शैलेश यादव निर्विरोध निर्वाचित हो गए तो तीनों पार्टियां उन्हें अपना बताने लगीं. तीनों पार्टियों ने अपने दावे को आधार देने के लिए उम्मीदवारों के नाम की सूची का सहारा लिया. दरअसल, शैलेश यादव को लग रहा था कि आपसी खींचतान के चलते सपा उम्मीदवार बनाने के बावजूद उनका पत्ता काट सकती है, लिहाजा उन्होंने बीजेपी खेमे में अपनी संभावनाएं तलाशीं. बीजेपी ने उनके बजाय सीमा विश्वकर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया तो शैलेश ने कांग्रेस पार्टी का समर्थन हासिल कर लिया. हालांकि बीजेपी ने 24 घंटे में ही अपना प्रत्याशी बदलते हुए शैलेश यादव के नाम का लेटर जारी कर दिया.


शैलेश के इस सियासी दांवपेंच में सभी पार्टियां उहापोह में ही रह गईं. पार्टियां भले ही अब अपने फैसले पर पछता रही हों, लेकिन शैलेश ने खुद को सियासी बाजीगर साबित करते हुए निर्विरोध ही मैदान मार लिया.


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