उत्तर प्रदेश का बनारस अपने खान-पान के लिए भी देश दुनिया में मशहूर है. खाने पीने के शौकीन लोगों का मानना है कि बनारस जैसी मिठाई कहीं और नहीं मिलती और यह हकीकत भी है. विशेष तौर पर कुछ सीजन में तैयार होने वाले मिठाइयों का स्वाद चखने के लिए लोग तो सात समंदर पार से भी बनारस पहुंच जाते हैं. इन्हीं में से एक है केसर युक्त मलइयो. यह सिर्फ सर्दी के सीजन में तैयार किया जाता है और इसे बनाने के लिए छेना खोआ नहीं बल्कि ओस की बूंद का प्रयोग किया जाता है.

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इसे खाने के लिए लोग दीवाने रहते हैं,सुबह से शाम तक मिठाई की दुकानों में ग्राहकों की भीड़ आम बात है. चूंकि इसकी शुद्धता और मिठास में कोई मिलावट नहीं है, तो हर उम्र के लोग शौक से इसे खाते हैं.

ऐसे तैयार होता है मलइयो

बनारस की प्रसिद्ध मिठाइयों में से एक  मलइयो सिर्फ सर्दी के सीजन में तीन-चार महीने ही बनाए जाते हैं. सबसे पहले बड़े से कराहा में शुद्ध दूध को गर्म कर लिया जाता है. छोटी इलायची केसर मेवा और प्राकृतिक ओस की बूंद के साथ इसे अच्छे आंच पर तैयार किया जाता है. इसका रंग पीला होता है. विशेष तौर पर एक झाग के रूप में कुल्हड़ में मलइयो खाया जाता है जो इस मिठाई को और स्वादिष्ट बनाता है. यह मलइयो सर्दी के सीजन में तीन से चार महीने तक ही बनाया जाता है.

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50 रुपए से लेकर 100 रुपए तक मलइयो

वाराणसी के पक्का महल क्षेत्र में स्वादिष्ट मिठाइयों को पूरी शुद्धता के साथ तैयार किया जाता है. इसमें कोई दो राय नहीं कि यहां बनने वाली मिठाइयों का कोई दूसरा विकल्प नहीं है. इस सर्दी के सीजन में मलइयो के दाम में भी वृद्धि देखी गई है. छोटे पूर्वा में मलइयो 50 रुपया और बड़े पूर्वा में 100 रुपया में खरीदा जा रहा है. ठंड के दस्तक के साथ ही मलइयो के दुकान पर लोगों का पहुंचना शुरू हो चुका है.