Ram Mandir Pran Pratishtha: अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन और राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी दलितों और पिछड़े वर्ग को साधने की कोशिश में है. 22 जनवरी को दलित और पिछड़े वर्ग के इलाकों में बीजेपी की ओर से धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन कराए जाएंगे. बीजेपी और संघ की कोशिश है कि इन आयोजनों के जरिए समाज में यह संदेश दे सके कि उसके लिए सामाजिक समरसता प्राथमिकता है. 


संघ और बीजेपी की इस रणनीति का असर समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व सीएम अखिलेश यादव के पीडीए यानी पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक , अगड़े और आदिवासियों को साथ लाने के प्लान पर पड़ सकता है. अगर बीजेपी और संघ अपना मैसेज पहुंचाने में सफल रही तो सपा को इसकी नई काट सोचना होगा.


दीगर है कि राम मंदिर के शिलान्यास में नींव बिहार निवासी स्वयंसेवक कामेश्वर चौपाल ने रखी थी. कामेश्वर फिलहाल रामजन्मभूमि ट्रस्ट में सदस्य भी हैं. इसके अलावा राम मंदिर परिसर में ही माता शबरी और निषादराज का मंदिर बनाया जा रहा है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने अयोध्या में नवनिर्मित हवाई अड्डे का नाम भी महर्षि वाल्मिकी के नाम पर रखा है. ऐसे में बीजेपी और संघ राम मंदिर के जरिए उन वर्गों तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में हैं, जो इनका वोट बैंक नहीं माना जाता है. 


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इसके अलावा संघ ने दलित और वाल्मिकी बस्तियों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से संबंधित आयोजनों की तैयारी कर रही है. इन आयोजनों में अलग धर्मावलंबियों को भी जोड़ा जा रहा है. प्राण प्रतिष्ठा के दिन संघ की कोशिश है कि बस्तियों के मंदिरों में दलित व्यक्ति से पूजा और आरती कराई जाएगी.


150 से ज्यादा समुदायों के प्रतिनिधियों को आमंत्रण
इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम के लिए आमंत्रित लोगों की सूची में 150 समुदायों के एक-एक प्रतिनिधि को निमंत्रण भेजा है. संघ और बीजेपी इस कार्यक्रम को हिन्दू समाज को एकजुट करने के नजरिए से देख रहा है.


बीते दिनों अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा था कि देश के हर जिले से 150 से ज्यादा समुदायों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है. इस सूची में दलित और आदिवासी समुदाय के भी संत शमिल हैं. इसके अलावा 10 लोग गरीब परिवारों से हैं जिन्होंने राम मंदिर के निर्माण में 100 रुपये का योगदान किया था. इसके साथ ही इन्होंने लोगों को भी आमंत्रित किया गया है जो राम मंदिर के निर्माण में शामिल रहे.


रिपोर्ट के अनुसार सूत्रों ने बताया कि आमंत्रित किए गए लोगों की सूची में 4000 संत हैं और 2500 वीआईपी लोग हैं. इस सूची को इस तरह से तैयार किया गया है कि समाज का कोई भी हिस्सा न छूटे. खासतौर से हाशिये पर पड़े समाज के लोगों को भी उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है.