Ramlala Pran Pratishtha: अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर के उद्घाटन का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है. 22 जनवरी को पीएम मोदी की उपस्थिति में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. जिसको लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं. प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंदिर के गर्भगृह में सोने के दरवाजे लगाने का काम चल रहा है. सोमवार को मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर दरवाजे लगाने का काम पूरा हो गया. 


एबीपी न्यूज़ मंदिर के अंदर का वीडियो लेकर आया है जिसमें अंदर अद्भुत नजारा दिखा. राम मंदिर में लगे ये सोने के दरवाजे किसी का भी मन मोह लेंगे. दो दिन पहले मंदिर में पहला सोने का दरवाजा लगा था वहीं सोमवार को 13 दरवाजे और लगाए गए. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने एक्स पर दरवाजों की फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि भगवान श्री रामलला सरकार के गर्भगृह में स्वर्ण मंडित द्वार की स्थापना के साथ ही भूतल पर सभी 14 स्वर्ण मंडित द्वारों की स्थापना का कार्य संपन्न हुआ. गर्भगृह वह जगह है जहां 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद रामलला की मूर्ति स्थापित की जाएगी.  


कार्यक्रम को लेकर ट्रस्ट महासचिव ने दी जानकारी


प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या धाम में अपने नव्य भव्य मंदिर में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम और पूजन विधि 16 जनवरी से शुरू हो जाएगी, जबकि जिस प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है, उसे 18 जनवरी को गर्भगृह में अपने आसन पर खड़ा कर दिया जाएगा. 22 जनवरी को पौष शुक्ल द्वादशी अभिजित मुहुर्त में दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम संपन्न किया जाएगा. 






गर्भगृह में ये लोग रहेंगे मौजूद


चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर गर्भगृह में पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस के सर संघचालक मोहन भागवत, राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास और सभी ट्रस्टीज उपस्थित रहेंगे. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की जानकारी देते हुए चंपत राय ने बताया कि कार्यक्रम से जुड़ी सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई हैं. प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12 बजकर 20 मिनट पर प्रारंभ होगी. प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त वाराणसी के पुजारी गणेश्वर शास्त्री ने निर्धारित किया है. 


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