अयोध्या में श्रीराम मंत्रार्थ मंडपम की छत से नीचे गिर कर एक साधु की मौत हो गई. गोरखपुर के मूलनिवासी मणिराम दास मंदिर की छत से गिर गए या फिर कूद गए इस बारे में अभी कुछ साफ नहीं हुआ है. हालांकि इस पूरे मामले को संदिग्ध माना जा रहा है. मृत्यु के कुछ समय पहले उनके साथ छत पर एक युवक को उनके द्वारा ऐसा किए जाने की कोई आशंका नहीं लगी लेकिन वह कहता है कि उनको पिछले कुछ दिनों से डिप्रेशन था और किसी चीज को लेकर वह अवसाद में थे.


दरअसल, मणिराम दास गोरखपुर के मूल निवासी थे और एक अच्छे कथावाचक थे. वो कथा कहने अक्सर बाहर भी जाया करते थे. मंगलवार को आरती के समय उन्होंने अतुल मिश्रा नाम के एक युवक से छत पर चलने के लिए बोला. इसके बाद छत पर पहुंचकर टहलने लगे. अतुल की माने तो आरती के समय वह प्रसाद लेने नीचे चला आया उसने मणिराम दास से भी नीचे चलने को कहा जिस पर उन्होंने कहा कि आप चलो मैं आता हूं. लेकिन कुछ देर बाद श्रीराम मंत्रार्थ मंडपम मंदिर में रुके पीएसी और पुलिस के जवानों ने आकर उनके ऊपर से नीचे गिरने के बारे में बताया. इसी के बाद मिली सूचना के बाद अयोध्या पुलिस मौके पर पहुंची और साधु को मृत देख पोस्टमार्टम के लिए शव को भेज दिया. सूत्रों की माने तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साधु की मरने की वजह ऊपर से नीचे गिरने से आई चोट है.


मैंने उन्हें नीचे चलने को कहा लेकिन वो नहीं आए- अतुल


अतुल मिश्रा ने बताया, श्री मणिराम दास जी महाराज अच्छे कथावाचक थे और साथ ही साथ भजन आनंदी भी थे. ऐसा क्या हुआ कि उनको उनको दो-चार दिन से डिप्रेशन था और इसके पहले कथा कहते थे वे ठाकुर जी का भोजन बनाया और इसके बाद वह आरती में थे और उसके बाद हम लोग जब आरती की स्थिति हुई हमसे कहे कि चलो छत घुमा जाए तो फिर छत घूमने लगे. उन्होंने आगे बताया कि, हमने कहा बाबा हम जा रहे हैं प्रसाद लेने आरती का तो उन्होंने कहा कि आप चलिए हम आ रहे हैं इसके बाद हम चले आए वह वापस नहीं आए. घटना की सूचना उनके भाई राघव मिश्रा को दी जो यहीं पास में रहा करते हैं.


पिछले तीनों दिनों से थे डिप्रैशन में- स्थानीय निवासी


स्थानीय निवासी राघवेंद्र दास का कहना है कि, "वह यहां बहुत समय से रह रहे थे. 2008 में जब से उद्घाटन हुआ तब से वह यही रह रहे थे. साथ ही साथ कई जगह के महंत भी बनाए गए. उनके बड़े भाई राघव दास यहां का पूरा काम देखते हैं. कोई भी सरकारी कार्य होता है तो वही करते हैं. यह तीसरे भाई थे. रवी शंकर शुक्ला, हरिशंकर शुक्ला मणि शंकर शुक्ला तीन भाई थे. इनके पिता जी सागर केरला में भी महंत हैं. उन्होंने कहा कि, वो 3 दिनों से डिप्रेशन में थे. कुछ बताया तो नहीं लेकिन इधर कह रहे थे कि उनका मन भजन में नहीं लग रहा है. हमारे कहने से पिछले महीने उन्होंने अनुष्ठान भी किया था. अनुष्ठान करने के बाद बड़ी प्रसन्नता हुई."


राघवेंद्र ने आगे बताया कि, उन्होंने भंडारे का भी आयोजन किया था. उसके पश्चात हम लोग एक साथ में ही रहते थे. वो मानसिक तौर पर दो-चार दिनों से ठीक नहीं थे. पहले कुछ बता भी दिया करते थे लेकिन इधर उन्होंने कुछ बताया भी नहीं. विद्यार्थियों ने बताया कि आंतरिक मामला था. हालांकि जब पुलिस से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही चीजें साफ हो पाएंगी.


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