उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है. इस बार मामला कथित “वीआईपी” एंगल को लेकर गरमा गया है, जिसके बाद प्रदेश की सियासत में आरोप–प्रत्यारोप तेज हो गए हैं. पूर्व बीजेपी विधायक सुरेश राठौर की पत्नी बताने वाली सनोवर नाम की महिला ने एक वीडियो के जरिए दावा किया है कि जिस रात अंकिता भंडारी की हत्या हुई, उस रात वहां 'गट्टू' नाम का कोई व्यक्ति आने वाला था. महिला ने इशारों-इशारों में इस व्यक्ति को 'वीआईपी' से जोड़ने की बात कही, जिसके बाद यह मामला फिर से चर्चा के केंद्र में आ गया है.

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इस बयान के सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर हमले तेज कर दिए हैं. कांग्रेस का आरोप है कि अंकिता हत्याकांड में शुरू से ही बड़े लोगों को बचाने की कोशिश की गई और अब फिर से 'वीआईपी' नाम सामने आने से सरकार की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र और राज्य सरकार से जवाब. उन्होंने कहा,  "अगर सरकार सच में न्याय चाहती है, तो इस कथित वीआईपी की पहचान सार्वजनिक की जाए और पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए."

महिला कांग्रेस ने फूंका पुतला  

वहीं देहरादून में महिला कांग्रेस ने राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए पुतला दहन किया. महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं का कहना है कि अंकिता को अब तक न्याय नहीं मिला है और सरकार लगातार सच्चाई को दबाने का काम कर रही है. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुजाता पाल ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 'वीआईपी' को बचाने के लिए जांच को प्रभावित किया गया और अब नए खुलासों से सरकार की मुश्किलें बढ़ रही हैं.

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बीजेपी नेता ने आरोप किए खारिज

दूसरी ओर, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज किया है. पूर्व भाजपा विधायक सुरेश राठौर ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों और सामने आए कथित ऑडियो को एआई जनरेटेड बताया है. बीजेपी का कहना है कि यह सब राजनीति से प्रेरित है और बिना सबूत के बीजेपी नेताओं को बदनाम किया जा रहा है.

बीजेपी ने न्यायिक प्रक्रिया पर जताया विश्वास

बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने कहा, "आरोप लगाने और आरोप के सिद्ध होने में बड़ा अंतर होता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग आरोप लगा रहे हैं, उन्हें इसके पुख्ता सबूत भी देने चाहिए. बीजेपी न्यायिक प्रक्रिया पर विश्वास करती है और यदि किसी भी स्तर पर ठोस सबूत सामने आते हैं, तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा."

कुल मिलाकर, अंकिता भंडारी हत्याकांड ने एक बार फिर उत्तराखंड की राजनीति में नया मोड़ ले लिया है. “वीआईपी” नाम को लेकर उठे सवालों ने सरकार और विपक्ष के बीच टकराव को और तेज कर दिया है, जबकि जनता अब भी इस मामले में इंसाफ का इंतजार कर रही है.