प्रयागराज: महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि, जिसपर संत ने अपने 7 पन्नों के सुसाइड नोट में आरोप लगा है, राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मूल निवासी हैं. आनंद गिरि अब अपने गुरु महंत नरेंद्र गिरि को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में पुलिस हिरासत में हैं. नरेंद्र गिरि ने अपने सुसाइड नोट में बलवीर गिरि के नाम अपनी वसीयत लिखी है. 


आखिर क्यों बलबीर गिरि के नाम पर कर दी वसीयत
बलवीर गिरि इस समय निरंजनी अखाड़े के उप महंत हैं और हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था का संचालन करते हैं. महंत नरेंद्र गिरि जब अपने शिष्य आनंद गिरि से नाराज हो गए थे तो उन्होंने जो 10 साल पूर्व वसीयत आनंद गिरि के नाम की थी उसको उन्होंने रद्द कर दिया था. आनंद गिरि के स्थान पर बलबीर गिरि के नाम पर वसीयत कर दी थी. बलवीर गिरि उत्तराखंड के ही निवासी हैं और 2005 में वे संत बने थे. बलवीर गिरि साल 2019 से हरिद्वार के बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था देख रहे हैं, वे योग करते हैं.


2019 में हुई बलवीर गिरि की एंट्री
आनंद गिरि को महंत नरेंद्र गिरि एक जमाने में बेटे की तरह स्नेह करते थे. प्रयागराज की सारा काम काज आनंद के पास था, बाघंबरी मठ से लेकर संगम किनारे बजे हनुमान मंदिर तक का. आनंद तो हमेशा नरेंद्र गिरि के साथ साए की तरह रहा करते थे. साल 2019 में दोनों के रिश्ते खराब हुए तो नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को हरिद्वार से प्रयागराज बुला लिया. फिर दोनों बाघंबरी मठ में साथ-साथ रहने लगे.


बलबीर गिरि और आंनद गिरि के रिश्तों को लेकर कोई खास जानकारी नहीं हैं. लेकिन ये बताया जाता है कि दोनों में कभी झगड़ा नहीं रहा. दोनों के रिश्ते सामान्य रहे हैं. वैसे सालों तक आनंद गिरि ही अपने महंत नरेंद्र गिरि की पहली पसंद रहे. दोनों करीब एक ही समय में नरेंद्र गिरि के संपर्क में आए और उनके शिष्य बने. लेकिन आनंद गिरि महंत की पहली पसंद बने.


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