आगरा: ताजनगरी के नाम से मशहूर आगरा जिले के बाह क्षेत्र में बसा तीर्थ बटेश्वर उत्तर भारत का प्रथम प्राचीन तीर्थ स्थल है. यहां यमुना किनारे चंद्राकार में बने 101 मंदिरों में भगवान भोलेनाथ खुद विराजते हैं. भगवान भोले के दर पर पहुंचने से हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है. कोरोना काल में संक्रमण फैलने को लेकर शासनादेश के आदेश पर प्रशासन ने 19 मार्च 2020 को बटेश्वर के मुख्य मंदिर ब्रह्मलाल महाराज भगवान भोले के पट बंद किए थे.

पहली बार मंदिर के पट बंद किए गए बंद प्राचीन समय से लेकर इतिहास में पहली बार मंदिर के पट बंद किए गए थे और सैकड़ों वर्षो से हर वर्ष कार्तिक माहीने में लगने वाला प्राचीन मेला भी इस बार नहीं लगाया गया. कोरोना को लेकर मेला स्थगित होने से क्षेत्र के ग्रामीण और व्यापारी खासे मायूस थे. मुख्य मंदिर के कई महीनों से पट बंद होने के कारण दूरदराज से पहुंचने वाली भोले के भक्तों को मंदिर के बाहर ही पूजा करनी पड़ रही थी साथ ही भगवान की दर्शन नहीं हो पा रहे थे.

भक्तों में खुशी की लहर धीरे-धीरे देश के कई राज्यों में मुख्य मंदिरों को पूजा-अर्चना के लिए खोल दिया गया मगर बटेश्वर मंदिर को पूजा के लिए नहीं खोला गया था. मकर संक्रांति के दिन भगवान ब्रह्मालाल महाराज मुख्य मंदिर के पट खोले जाएंगे जिससे क्षेत्रीय लोगों सहित भक्तों में खुशी की लहर दौड़ गई है. मंदिर के मुख्य पुजारी जय प्रकाश गोस्वामी के मुताबिक तीर्थ स्थल ट्रस्ट समिति ने मुख्य भोलेनाथ मंदिर को कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए खोले जाने का निर्णय लिया गया है.

कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना होगा मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी से भक्त मंदिर में पूजा-अर्चना करने के लिए प्रवेश कर सकेंगे. इससे पूर्व बुधवार को मंदिर परिसर को साफ कर सैनिटाइजेशन किया जाएगा. पुजारी के मुताबिक भक्तों को 2 गज की दूरी के साथ कोरोना गाइडलाइंस का पालन करना होगा. मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी. बटेश्वर मंदिर खुलने की मांग साधु-संत और श्रद्धालु कई महीनों से कर रहे थे, जिसे लेकर प्रशासन ने निर्णय लिया है.

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