Agra Elephant Accident News: एक ट्रेन हादसे में 9 महीने की हथिनी जिसका नाम बानी है चोटिल हो गई. हादसे में घायल हथिनी को काफी चोट आई है. इस ट्रेन हादसे में अपनी मां को भी खो दिया है. घायल 9 महीने की हथिनी का इलाज आगरा मथुरा बॉर्डर स्थित वाइल्डलाइफ एसओएस के अस्पताल में जारी है.


वाइल्डलाइफ एसओएस हाथी अस्पताल में बानी का उपचार किया जा रहा है. जिसके चलते थाईलैंड के एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ और केरल के आयुर्वेद विशेषज्ञ घायल हथिनी का इलाज कर रहे हैं, ताकि उसे जल्द राहत मिल सके. विशेषज्ञ एक्यूपंक्चर उपकरणों का उपयोग कर इलाज कर रहे हैं.  बताया गया है कि हाथियों के लिए ये भारत कापहला एक्यूपंक्चर उपचार है.


घायल हथिनी का इलाज जारी 


घायल हथिनी बानी के आने के बाद से देखभाल की विशेष व्यवस्था की गई है. लकवाग्रस्त हथिनी के इलाज के लिए अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है, जिसमें आर्थोपेडिक विशेषज्ञ, न्यूरो सर्जन, आयुर्वेद और एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ शामिल हैं. चिकित्सा उपचारों में लेजर थेरेपी, हाइड्रोथेरेपी, एक्यूप्रेशर आदि शामिल हैं.


थाईलैंड से बुलाए गए डॉक्टर 


लकवाग्रस्त हाथिनी बानी के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस ने प्रसिद्ध पशु चिकित्सा एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ थाईलैंड के चियांग माई विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. परकोटे रुंगश्री को बुलाया गया है. जो यूएसए के फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर हैं.


डॉक्टर ने किया पहला इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर


डॉ. रुंगश्री ने वाइल्ड लाइफ एसओएस टीम के साथ एक्यूपंक्चर तकनीकों के साथ शुरुआत की, जिसके बाद एक प्रैक्टिकल डेमो भी किया. डॉ. रुंगश्री की गाइडलाइन में वाइल्ड लाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा टीम ने बानी का पहला इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर किया. वाइल्ड लाइफ एसओएस के उप-निदेशक डॉ. इलिया राजा ने बताया कि हम बानी की इस विशिष्ट स्थिति के अनुरूप एक व्यापक पशु चिकित्सा देखभाल कार्यक्रम के रूप में इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर थेरेपी का उपयोग कर रहे हैं. इलेक्ट्रो-एक्यूपंक्चर थेरेपी परंपरा और विज्ञान का सामंजस्य बनाते हुए नियंत्रित विद्युत उत्तेजना का उपयोग कर शरीर के ऊर्जावान मार्गों में संतुलन और पुनर्संचार का काम करती है.


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