Rajasthan News in Hindi: चंबल नदी (Chambal River) पर बने बांध खतरे में समय निकाल रहे थे. सालों से इनकी ठीक से मरम्मत भी नहीं हो रही थी. इस वजह से बरसात के मौसम में जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन की धड़कनें बढ़ जाती हैं. क्योंकि कई बांध के गेट तो ऐसे हैं जो सालों से जंग खाकर बंद पड़े हैं. उन्हें छेड़ने की हिम्मत विभाग भी नहीं करता है.सालों से बजट के अभाव में गेट के साथ लोहे के तार, कंक्रीट और कई उपकरण जस के जस पड़े हुए हैं. इन बांधों की मरम्मत के लिए विश्व बैंक (World Bank) ने 180 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं. इससे विभाग को आस बंधी है कि इस बजट से बांधों की मरम्मत हो पाएगी. इससे इन बांधों का जीवन बढ जाएगा और खतरे की आशंका भी कम होगी. विभाग शीघ्र ही मरम्मत कार्य के लिए निविदाएं जारी करने वाला है.


63 सालों से नहीं हुई है बांधों की मरम्मत  
आजादी के बाद चंबल पर बने बांध की 63 साल बाद सरकार ने सुध ली है. प्रदेश के सबसे बड़े राणा प्रताप सागर बांध, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध को नवजीवन देने के लिए विश्व बैंक ने 180 करोड़ का बजट दिया है. इस राशि को तीनों बांधों की मरम्मत पर खर्च किया जाएगा. जल संसाधन विभाग इसकी निविदाएं निकालने की तैयारी की जा रही है. कुछ दिनों पूर्व केंद्रीय जल संसाधन आयोग की टीम ने तीनों बांधों का दौरा किया था.टीम ने इनकी मरम्मत के प्रस्ताव दिए थे.विभाग की ओर से 180 करोड़ के प्रस्ताव बनाकर आयोग को भेजा गया था. इसको आयोग ने विश्व बैंक भेजा था. इसके बाद राज्य सरकार से भी इसकी स्वीकृति मिली है.


देश में 5264 बांध, राजस्थान में 211 
राज्य सरकार ने 2020 में बजट पारित किया था. इसे वर्ल्ड बैंक ने चार महीने पहले ही मंजूरी दी थी. लेकिन कोरोना के कारण यह कार्य भी अटक गया. बांध पुनर्वास और सुधार परियोजना के तहत केंद्रीय जल आयोग के माध्यम से वर्ल्ड बैंक ने देश भर के 733 बड़े बांधों को संरक्षा मरम्मत के लिए 11 हजार करोड़ रुपये स्वीकृत किए थे.लॉकडाउन की वजह से बजट का उपयोग नहीं हो सका. अब एक बार फिर विश्व बैंक ने तीन बांधों के लिए 180 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं. इससे चंबल पर बने राणा प्रताप सागर, जवाहर सागर और कोटा बैराज बांध की मरम्मत होगी.देशभर में 5264 बांध हैं.इनमें से 211 बांध राजस्थान में हैं. ये बांध लोगों की प्यास बुझाने के साथ-साथ फसलों जीवन देते हैं.


सिंचाई और प्यास बुझाते हैं बांध


मध्य प्रदेश और राजस्थान की साढे छह लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने वाले चंबल नदी पर बने कोटा बैराज बांध की सुरक्षा भगवान भरोसे है. 1960 में बने इस बांध की मरम्मत नहीं होने से बांध साल दर साल कमजोर होता जा रहा है.बैराज की मरम्मत के लिए जल संसाधन विभाग हर साल राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजता है. लेकिन विभाग गेटों की रूटीन मरम्मत और रखरखाव के लिए नाममात्र का बजट देता है. इससे बांध के गेट लोहे के रसों की ठीक से ऑयल-ग्रिसिंग भी नहीं हो पाती है.बैराज पर बना पुल जर्जर हो चुका है. इसकी रेलिंग जगह-जगह से टूटी हुई है. इसके बावजूद पुल से रोजाना कई वाहन गुजरते हैं.अब बजट मिलने से आस है कि व्यवस्थाओं में सुधार हो सकेगा.


इन बांधों पर कितने गेट बने हैं


राणा प्रताप सागर बांध में चार स्लूज गेट हैं, जो पिछले 36 साल से बंद हैं. यू तो बांध के 21 गेट हैं. इसमें 17 बड़े और चार स्लूज गेट हैं.ये चारों स्लूज गेट जर्जर हो चुके हैं. उनसे लगातार रिसाव हो रहा है.सुरक्षा के लिहाज से भी गेटों को खोलना जरूरी है. इस साल भी चारों स्लूज गेट नहीं खुल पाएंगे. कोटा बैराज पर बने 19 मुख्य गेट में दो स्लूज गेट हैं. स्लूज गेट बांध के पेंदे में जमा गंदगी और कीचड़ के मलबे की निकासी के लिए खोले जाते हैं. कोटा बैराज के दोनों स्लूज गेट अब तक सिर्फ एक बार ही 1991-1992 में खोले गए हैं. उसके बाद बांध के पेंदे में इतनी भारी मात्रा में पत्थर मिट्टी कीचड़ जम गया है कि गेट खोलने का रिस्क कोई नहीं लेता.


जल संसाधन विभाग कोटा के अधिशासी अभियंता भारत रत्न गोड का कहना है कि कोटा बैराज बांध का निर्माण 1960 में हुआ था. उसके बाद से ही इसकी मरम्मत नहीं हुई है.उन्होंने कहा कि अब जब बजट मंजूर हो गया है तो बारिश के बाद मरम्मत का काम शुरू कर दिया जाएगा. 


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