Udaipur-Ahmedabad Railway Track Blast: उदयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर 2500 की आबादी वाला ओडा गांव अचानक चर्चा में आ गया है. गांव शनिवार तक बिलकुल सामान्य जिंदगी जी रहा था लेकिन रविवार से सब कुछ बदल गया. देश की सबसे बड़ी एजंसियां एनआईए और एनएसजी गांव में लगातार जांच कर रही हैं. राजस्थान की एटीएस भी पहुंची हुई है. रेलवे ट्रैक को माइनिंग में काम आने वाले विस्फोटक से ब्लास्ट कर दिया गया. 13 दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे ट्रैक पर ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. गनीमत रही कि पटरी से कोई ट्रेन नहीं गुजरी. वरना बहुत बड़ा हादसा हो सकता था. एबीपी न्यूज घटना से जुड़ा अपडेट दे रहा है. 


5 माह में दूसरी आतंकी घटना! मुकदमा दर्ज


सबसे शांत रहने वाले उदयपुर में पांच माह के दौरान दूसरी बड़ी घटना सामने आई है. 28 जून को आतंकी घटना में कन्हैयालाल की हत्या कर दी गई थी. अब उदयपुर-अहमदाबाद ब्रॉडगेज ट्रैक पर हुई घटना को भी आतंकी एंगल से जांच किया जा रहा है. पुलिस ने मामला आतंकी धाराओं में दर्ज कर लिया है. उदयपुर से पूर्व सांसद और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रघुवीर सिंह मीणा भी घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि उदयपुर में दूसरी बार घटना होना आश्चर्यजनक है. केंद्र की टीमें तो आ गई हैं. मामला की गहराई तक जांच जरूरी है. राज्य सरकार की एजेंसियां भी काम कर रही हैं. 


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2500 की आबादी वाला गांव चर्चे में अचानक


रात आठ बजे आमतौर पर ओडा गांव में लोगों की घरों के बाहर चहल-पहल रहती है. करीब 2500 की आबादी वाले गांव में रात 8 बजे अचानक सभी लोगों को बम फटने जैसी आवाज आई. ग्रामीण रात को बम फटने जैसी तेज आवाज आने पर चकित हो गए. घर धुजने लगे और कुछ घरों के बर्तन भी नीचे गए. एकाएक आवाज से चकित हुए लोगों को ब्लास्ट होने का अंदाजा नहीं लगा. ग्रामीणों का कहना है कि गांव के पास ही अहमदाबाद हाइवे निकल रहा है. केवड़े की नाल से आने वाले कई ट्रकों के गांव तक आते ही टायर तेज आवाज में ब्लास्ट हो जाते हैं. साथ ही खाई में भी वाहन दुर्घटनाग्रस्त होकर गिर जाते हैं.


ग्रामीणों को यही दोनों वजह लगी कि या तो टायर ब्लास्ट हुआ या खाई में कोई वाहन गिरा है. इसके बाद ग्रामीणों का एक दल रात में हाइवे की तरफ भी गया कि किसी का एक्सीडेंट हुआ हो तो मदद करेंगे. आमतौर पर होता भी यहीं है. ग्रामीण खाई की तरफ गए और हाइवे पर भी देखा लेकिन कुछ नजर नहीं आया. ग्रामीण अपने घरों को चले गए लेकिन फिर भी सभी के मन मे सवाल था कि आखिर आवाज कहां से आई. माइनिंग की आवाज नहीं हो सकती क्योंकि गांव से करीब 8 किलोमीटर दूर है.


ट्रैक पर सबसे पहले पहुंचना वाला संदीप बोला


ओडा गांव निवासी संदीप जावर माइंस के डायमंड डीलिंग में हेल्पर का काम करते हैं. संदीप एबीपी न्यूज को बताते हैं, रविवार रात को करीब 12 बजे ड्यूटी से आया और घर पर मम्मी ने खाना खिलाया. खाना खाते वक्त मम्मी ने कहा कि आज तो बहुत तेज ब्लास्ट की आवाज आई थी. घर तक धुजने लगा था. घर हाइवे के पास ही है, आए दिन ट्रकों के टायर फटने की आवाज आती रहती है. मम्मी को कहा कि ट्रक का टायर फटा होगा लेकिन मम्मी ने कहा कि इससे भी तेज आवाज थी. फिर सो गए. सुबह 7 बजे उठकर सोचा की हाइवे पर देखता हूं किसी का एक्सीडेंट तो नहीं हुआ. घर हाइवे के पास ही है और जहां ट्रैक पर ब्लास्ट हुआ वह पुलिया भी 300 मीटर की दूरी पर ही है. ऊपर चढ़कर देखा तो हाइवे पर कुछ नहीं दिखा लेकिन ट्रैक की तरफ नजर गई तो पुलिया पर ट्रैक ऊपर उठा दिखा.


दोस्त नारायण को लेकर वहां पहुंचा और लाल कपड़ा भी साथ मे लिया. जाकर देखा तो ट्रैक उठा हुआ था. फिर स्थानीय लोगों को बोलकर रेलवे को फोन कराया. इतने में 10 मिनट बाद ही रेलवे के गैंग मेन आ गए. ब्लास्ट की घटना होने के बाद एक सवाल खड़ा हो रहा है. रात करीब 8 बजे ब्लास्ट हुआ और रेलवे को 12 घंटे बाद सुबह 8 बजे घटना की जानकारी मिली. 12 घंटे तक क्यों पता नहीं चल पा रहा है. जबकि नियम है कि गैंग मेन रात में जांच करते हैं कि ट्रैक में कोई खराबी तो नहीं. कंट्रोवर्सी भी खड़ी हो रही है कि ग्रामीण बोल रहे हैं कि सबसे पहले युवक संदीप पहुंचा और उसने जानकारी सभी को दी. वहीं रेलवे कह रहा हैं कि गैंग मेन ने पहले कंट्रोल रूम को जानकारी दी.


एक्सपर्ट ने बताया कि रेलवे में रात का एक नियम बना हुआ है. इसके लिए गैंग मेन की नियुक्ति भी की गई है. इनका काम है रात में ट्रैक की पूरी तरह निगरानी रखना. दो स्टेशनों के मध्य 4 गैंग मेन होते हैं जिसमें 2 एक स्टेशन से और दो दूसरे स्टेशन से निकलते हैं. 15 किलोमीटर की दूरी रहती है. हर स्टेशन के बीच में एक जगह निर्धारित रहती है जो दोनों स्टेशन से 7-7 किलोमीटर की दूरी पर रहती है. हालांकि कुछ स्टेशनों की दूरी इनसे कम भी होती है. इस निर्धारित जगह पर गैंग मेन पैदल ट्रैक पर चलकर चेकिंग करते हैं और कुछ भी ट्रैक में खराबी होने पर कंट्रोल रूम को सूचना देते है. एक्सपर्ट का कहना है कि ट्रैक बिना विस्फोटक के भी ब्लास्ट होते हैं. इस प्रकार के ब्लास्ट की समस्या सर्दियों में ज्यादा रहती है.


कड़ाके की सर्दी होती है तो रेलवे ट्रैक में ठंड से भी ब्लास्ट हो जाता है. इसलिए गैंग मेन ठंड में और ज्यादा इस बात का ध्यान रखते हैं. उत्तर-पश्चिम रेलवे के पीआरओ कैप्टन शशि करण ने बताया कि इस ट्रैक पर चल रही दो ट्रेन सुबह 6 से रात 10 बजे के बीच की है. अगर जहां रात के समय में ट्रेन का आवागमन होता है तो उस गैंग मेन ट्रेन के आने से पहले ही ट्रेक को चैक कर लेते हैं. यहां रात में ट्रेन नहीं है. इसलिए रात में चेकिंग नहीं हुई. रही बात जानकारी मिलने की तो ग्रामीण की सूचना से पहले सुबह आठ बजे गैंग मेन ने कंट्रोल पर सूचना दी थी. इसके 10 मिनट बाद ग्रामीण की तरफ से जानकारी प्राप्त हुई.