Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने ग्रेजुएशन में तीनों वर्ष अनिवार्य विषय में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी है. मंजू बाला बनाम राजस्थान सरकार और अन्य याचिकाओं की सुनवाई करते हुए जस्टिस अरुण भंसाली की पीठ ने सभी डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को वर्तमान में जारी तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती लेवल दो के पद हेतु पात्र मानते हुए, मेरिट अनुसार नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल करने का आदेश पारित किया है. कोर्ट ने भर्ती एजेंसी और निदेशालय द्वारा पात्रता सत्यापन दिशा-निर्देशों में ग्रेजुएशन में वैकल्पिक विषय उत्तीर्ण होने की शर्त को खारिज कर दिया है.


रामसरा (हनुमानगढ़) निवासी मंजू बाला के अलावा दर्जनों अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से एडवोकेट सुशील बिश्नोई ने पैरवी की. उन्होंने कोर्ट को अवगत करवाया कि याचिकाकर्ता भर्ती की पात्रता अनुसार तीनों वर्ष अनिवार्य रूप से विषय विशेष में ग्रेजुएशन उत्तीर्ण हैं, जहां पूर्व में भी हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट उक्त मामले में निर्णय दे चुका है. फिर भी इन्हें वर्तमान भर्ती में अपात्र करार दिया गया है. कोर्ट ने अपने पहले के निर्णय, निदेशालय द्वारा उसके पालन के मद्देनजर अनिवार्य ग्रेजुएशन डिग्रीधारी याचिकाकर्ताओं को लेवल दो में विषयनुसार पात्र करार दिया है. 


हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद बिंदु 83 किया खारिज


इस दौरान सरकार द्वारा कागजात सत्यापन हेतु बिंदु संख्या 83 को खारिज कर दिया है, जिसमें केवल वैकल्पिक ग्रेजुएशन डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को पात्र माना गया था. सरकार की ओर से एएजी पंकज शर्मा और कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से एडवोकेट विनीत सनाढय ने पक्ष रखा. इस मामले पर बारीकी से नजर रखने वाले वेदपाल धानोठी के मुताबिक, राजस्थान के सीमावर्ती जिलों के अनेक विद्यार्थी नजदीकी राज्य पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी, एमपी, गुजरात से ग्रेजुएशन स्तर की पढ़ाई करते हैं. इन राज्यों में ग्रेजुएशन में भाषा विषय अंग्रेजी, हिंदी, पंजाबी आदि तीनों वर्ष अनिवार्य सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि इन विषयों के नंबर हर साल टोटल नंबरों में वैकल्पिक विषय के समान जुड़ते हैं.


क्या है मामला?


वेदपाल धानोठी ने आगे बताते हुए कहा, राजस्थान में ग्रेजुएशन में अनिवार्य विषय केवल एक वर्ष क्वालीफाई सब्जेक्ट में रूप में पढ़ाया जाता है. और ये नंबर फाइनल ग्रेडिंग में नहीं जुड़ते हैं. मामले में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पिछली भर्तियों में भी ऐसे अभ्यर्थियों को पात्र करार दे चुका है और निदेशालय उनको नियुक्ति भी दे चुका है. हाई कोर्ट ने इन बिंदुओं के मद्देनजर इन्हें नियुक्ति हेतु पात्र करार दिया है. जबकि वर्तमान रीट भर्ती में कागजात सत्यापन के दौरान ग्रेजुएशन में वैकल्पिक विषय न होने के आरोप में इन अभ्यर्थियों को विज्ञापन शर्त और सत्यापन दिशा-निर्देशों के आधार पर भर्ती एजेंसी और निदेशालय ने दोबारा अपात्र घोषित कर दिया था. राजस्थान के सीमावर्ती जिलों में ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या सैकड़ों में है.


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