Maha Shivratri 2023: कल 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर देशभर के शिवालयों में शिव भक्तों की भीड़ उमड़ेगी. मेवाड़ यानी उदयपुर संभाग में भी भगवान शिव के कई शिवालय हैं. महादेव शिव का एक मंदिर विशाल शिवलिंगम के लिए जाना जाता है. नीलकंठ महादेव का मंदिर राजसमंद के कुंभलगढ़ किले में स्थित है. ऊंची और मजबूत दीवारों की वजह से कुंभलगढ़ किला अजेय रहा है. महाराणा कुंभा ने 1458 ई. में नीलकंठ महादेव मंदिर का निर्माण कराया था. नीलकंठ महादेव का भव्य मंदिर यज्ञवेदी नामक स्थान से पूर्व दिशा में चट्टान पर बना हुआ है.


महाराणा सांगा ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया 


चारों तरफ बनी परिक्रमा की छत 24 बड़े-बड़े खंभों पर टिकी हुई है. नीलकंठ महादेव मंदिर के चारों द्वार परिक्रमा में खुलते हैं. मध्य में 5 फीट ऊंचा काले पत्थर का एक विशाल शिवलिंग स्थापित है. मंदिर की पश्चिम दिशा में 12 हाथ और एक मुख वाली प्रतिमा स्थापित है. पश्चिमी द्वार के बांयी ओर स्थित खंभे पर महाराणा सांगा के काल का उत्कीर्ण शिलालेख है. शिलालेख से पता चलता है कि महाराणा सांगा ने मंदिर का पुननिर्माण करवाया था. महाराणा कुंभा शिवालय में बैठकर भगवान शिव की उपासना करते थे.





नीलकंठ महादेव मंदिर में 6 फीट ऊंचा शिवलिंग 


नीलकंठ महादेव मंदिर में 6 फीट ऊंचा शिवलिंग है. काले पत्थर का शिवलिंग डूंगरपुर क्षेत्र से लाया गया था. महाराणा कुंभा ने बड़ी ही श्रद्धा से मूर्ति को प्रतिष्ठापित किया था. शिवलिंग के पास श्रीधर की प्रतिमा भी बनी हुई है. बताया जाता है कि लंबाई ज्यादा होने की वजह से महाराणा कुंभा बैठकर पूजा करते थे. उनकी आंखें शिवलिंग तक पहुंच जाती थीं. कहा जाता है कि जिस काले पत्थर से बना है उस पत्थर से सोने की परख की जाती है. नीलकंठ महादेव मंदिर की कलाकारी इतनी शानदार है कि हर कोई निहारते ही रह जाता है. 


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