राजस्थान के कई जिलों में बीते 24 घंटों से लगातार हो रही भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है. भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़, झालावाड़, कोटा, पाली और सिरोही जैसे जिलों में नदी-नाले उफान पर हैं और कई जगह बांधों के गेट खोलने पड़े हैं.

सिरोही में एक निजी स्कूल बस केरल नदी के पुल पर फंसी रही, वहीं चित्तौड़गढ़ में दो बाइक सवार बेड़ाच नदी पार करते समय बह गए. प्रशासन ने 29 जुलाई को 11 जिलों में स्कूलों की छुट्टी घोषित की है. जयपुर, कोटा, भीलवाड़ा, बांसवाड़ा और अजमेर समेत कई जिलों में सड़कें जलमग्न हो गईं हैं.

प्रमुख जिले जहां हालात गंभीर

कोटा स्थित रामगंजमंडी में 242 मिमी बारिश, नवनिर्मित नवनेरा डैम के 13 गेट खोले गए, जिससे 8400 MCM पानी छोड़ा गया. वहीं भीलवाड़ा के ईरू नदी का पुल 5 फीट तक डूबा, बिजोलिया में सड़क पर नाव चलती दिखी. झालावाड़ के आधा दर्जन गांवों में हालात बिगड़े.

जयपुर में भी भारी बारिश के कारण ट्रैफिक जाम और निचले इलाकों में पानी भरा. सिरोही में स्कूल बस पुल पर फंसी रही, राहत कार्य में SDRF और सिविल डिफेंस टीमें सक्रिय.

मौसम विभाग और प्रशासन की चेतावनी

जयपुर मौसम केंद्र के अनुसार, मानसून ट्रफ लाइन बीकानेर और कोटा से गुजर रही है, जिससे 29 और 30 जुलाई को भारी बारिश की संभावना जताई गई है. तीन जिलों में रेड अलर्ट, पांच में ऑरेंज और 19 में येलो अलर्ट जारी किया गया है. राहत की उम्मीद 1 अगस्त के बाद ही है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने कोटा के प्रभावित इलाकों का दौरा कर राहत कार्यों का जायजा लिया.

बारिश और जलभराव के आंकड़े

राज्य में अब तक सामान्य से 88% अधिक बारिश हो चुकी है. 226 बांध पूरी तरह भर चुके हैं या ओवरफ्लो कर रहे हैं. 693 बांधों की कुल क्षमता 13,026 MCM में से 75.33% तक जलभराव हो चुका है.

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बारिश को कृषि और भूजल के लिए शुभ संकेत बताया है. उन्होंने राज्य सरकार की जलसंरक्षण योजनाओं- 'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान और 'वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान'- की सराहना की और कहा कि आगामी सालों में 45,000 जलसंरक्षण संरचनाएं तैयार की जाएंगी. कई बांध जैसे बिसलपुर, राणा प्रताप सागर, कोटा बैराज और माही बजाज सागर लगभग अपनी पूर्ण क्षमता पर हैं.