Quack Doctor Arrested: राजस्थान में सरकारी अस्पतालों में मरीज का उपचार फ्री है. इसके बावजूद झोलाछाप डॉक्टरो का आतंक भी बढ़ रहा है. आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्र में लगातार ऐसे कई मामले सामने आते हैं. जहां पर झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा उपचार के दौरान कोताही बरतने पर मरीजों की जान चली जाती है. प्रतापगढ़ थाना देवगढ़ इलाके के गांव धावड़ा मगरी में गलत उपचार से हुई तीन बच्चों की मौत के मामले में पुलिस ने आरोपी झोलाछाप डॉक्टर चतराराम देवासी पुत्र जीवाराम निवासी जैनवास दुजाना जिला पाली हाल बस स्टैंड देवगढ़ को आपराधिक मानव वध के आरोप में गिरफ्तार किया है.



एसपी अमित कुमार ने बताया कि 19 नवंबर और 20 नवंबर को धावड़ा मगरी गांव में तीन मासूम बच्चों की रहस्यमयी मौत हुई. चिकित्सा विभाग ने सीएमएचओ की रिपोर्ट के आधार पर आईडीएसपी को एक रिपोर्ट की. आईडीएसपी के स्टेट नोडल ऑफिसर के सुपरविजन में राजस्थान के दो ईआईएस ऑफिसर एवं नई दिल्ली से एनसीडीसी की संयुक्त टीम का गठन किया गया.

कमेटी द्वारा भी एक विस्तृत जांच की गई      
गठित टीम को बच्चों की मृत्यु व गांव में बुखार फैलने के कारणों का पता लगाने और अन्य कौन इससे प्रभावित हो सकते हैं इसके बारे में पता लगाने का टास्क दिया गया. इस कमेटी द्वारा भी एक विस्तृत जांच की गई. कमेटी ने तीनों मृतक बच्चों के परिजनों से बात कर मेडिकल काउंसलिंग करके वर्बल ऑटोप्सी की. जांच के कई पहलुओं में मलेरिया से बुखार होने के तथ्य सामने आए.

वर्बल ऑटोप्सी की रिपोर्ट कमेटी द्वारा की गई तैयार
मृतकों की एक जीवित बहन काली जिसका उपचार जिला प्रतापगढ़ में उन बच्चों की मौत के बाद किया गया. उसकी बीमारी के डायग्नोसिस और उपचार से स्पष्ट हुआ कि उन बच्चों में भी तेज बुखार का कारण संभवतः  मलेरिया ही था. वर्बल ऑटोप्सी की रिपोर्ट इस कमेटी द्वारा तैयार की गई उसमें झोलाछाप डॉक्टर द्वारा दिए गए उपचार के बाद इन बच्चों की मृत्यु होने जैसे तथ्य सामने आए.

3 बच्चों की हुई थी मौत    
एसपी ने बताया कि गुरुवार 4 जनवरी को बीएमसीएचओ जगदीप खराड़ी और उनकी टीम द्वारा देवगढ़ बस स्टैंड के पास संचालित एक क्लीनिक पर अचानक रेड डाली. इस दौरान वहां झोलाछाप डॉक्टर चतरा राम बिना वैध डिग्री व दस्तावेज के मरीजों का इलाज करता हुआ पाया गया. निरीक्षण के दौरान क्लीनिक से भारी मात्रा में औषधि, डीएनएस, इंजेक्शन आदि एक कार्टून में मिले, जिसके भी कोई वैध दस्तावेज नहीं थे. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवगढ़ के चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट पर थाना देवगढ़ पर आईपीसी की संबंधित धाराओं एवं इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. आरोपी झोलाछाप से पुलिस अनुसंधान के दौरान सामने आया कि धावड़ा मगरी गांव में जिन 3 बच्चों की मौत हुई थी, उसका इलाज उसी ने किया था.

बिना डायग्नोसिस के उपचार दिया गलत
चिकित्सा विभाग की टीम द्वारा आरोपी झोलाछाप के क्लीनिक से की गयी दवाइयों की जब्ती, मृतक बच्चों के घर से ईलाज में प्रयुक्त दवाइयों की जब्ती, एकत्रित तकनीकी साक्ष्यों, बीसीएमएचओ की रिपोर्ट, एनसीडीसी व ईआईएस ऑफिसर की रिपोर्ट तथा जीवित बहन काली के उपचार के दस्तावेज के आधार पर यह साबित हुआ की चतराराम ने तीनों बच्चों राधा, शिवानी और लाला को बिना डायग्नोसिस के गलत उपचार दिया. जिससे उनकी मृत्यु कारित हुई.

अपराधिक मानव वध का दोषी पाया गया
पुलिस ने पीएमओ से मेडिकल बोर्ड गठित करवा विस्तृत अनुशंसा रिपोर्ट पर मेडिकल बोर्ड से कई बिंदुओं पर उनका ओपिनियन प्राप्त किया. सम्पूर्ण अनुसंधान के क्रम में यह साबित हुआ की आरोपी व्यक्ति चतराराम लोगो का छलावे से इलाज करता था और तीन बच्चों के मृत्यु के संदर्भ में अपराधिक मानव वध का दोषी पाया गया. इसके खिलाफ धारा 304 के अपराध प्रमाणित है.


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