Udaipur News: राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध विष्णु मंदिर (जगदीश मंदिर) उदयपुर में है. इस मंदिर की बहुत सी प्राचीन मान्यताएं हैं और ये लगभग पौने 400 साल पुरानी विष्णु मंदिर है. लेकिन इस वक्त इस मंदिर के पंडित विरोध कर रहे हैं. उन्होंने सरकार के देवस्थान विभाग (Devasthan Department) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पंडितों ने देवस्थान विभाग पर कई आरोप भी लगाए हैं. सबसे बड़ा आरोप ये है कि इतने ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर का देवस्थान विभाग 40 सालों सुध नहीं ले रहा है. ऐसे में मंदिर की स्थिति बिगड़ती जा रही है. देवस्थान विभाग (Devasthan Department) के जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये प्रसिद्ध मंदिर जर्जर हालत में तब्दील होता जा रहा है. समय रहते इस मंदिर पर ध्यान नहीं दिया गया तो इस ऐतिहासिक मंदिर का अस्तित्व भी खतरे में आ सकता है.


मंदिर का प्राचीन इतिहास 


देवस्थान विभाग के अंतर्गत आने वाले श्री जगदीश मंदिर मेवाड़ का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर है. यह मंदिर लगभग 371 वर्ष पुराना है और मंदिर का निर्माण महाराणा सज्जन सिंह के द्वारा करवाया गया था. जब दरबार का समय हुआ करता था तभी से ही मंदिर की सेवा के लिए पुजारी नियुक्त किए गए थे. आजादी के बाद सभी मंदिरों का विलय देवस्थान विभाग में कर दिया गया. उस समय श्री जगदीश मंदिर में पुजारी परिवार के अलावा लगभग 25 सेवादार अलग से हुआ करते थे जिसमें छड़ी वाला, प्रहरी, सेवादार, घंटे वाला, सफाई वाला इत्यादि हुआ करते थे. श्री जगदीश मंदिर में ठाकुर जी श्री जगन्नाथ स्वामी के स्वयं के इतने आभूषण थे कि हर एक पूजा के प्रहर में उनको अलग आभूषण धारण करवाए जाते थे.


40 वर्षों से नहीं बदले गए भगवान के आभूषण 


वर्तमान में चल रहे अव्यवस्थाओं को देखते हुए सभी धर्म संगठनों के साथ पुजारी परिषद ने मंदिर में एक महासभा का आयोजन किया. पुजारी परिषद के हेमेंद्र पुजारी ने बताया कि मंदिर जब से देवस्थान विभाग के अंतर्गत आया है तब से मंदिर की हालत और खराब हो गई है. हर महीने लगभग 2 या 3 बड़े आयोजन मंदिर में होते हैं. जगदीश मंदिर में मुख्य आयोजन कृष्ण जन्माष्टमी, निर्जला एकादशी, मंदिर का पाटोत्सव, रथ यात्रा तथा प्रत्येक माह की दोनों एकादशी पर मंदिर में काफी बड़े और भव्य आयोजन होते हैं. वर्तमान में अगर मंदिर की स्थिति देखी जाए तो पिछले 40- 50 सालों से देवस्थान विभाग ने मंदिर की सुध नहीं ली है. 


देवस्थान विभाग हर साल सिर्फ एक बार मंदिर आता है और मंदिर की तिजोरी का सारा पैसा लेकर चला जाता है. वर्तमान में मंदिर में कोई भी सेवादार मौजूद नहीं है. ठाकुर जी की सभी तरह के आभूषण पूरी तरह से टूट चुके हैं, साथ में घंटी मांदल आरती भी पूरी तरह से टूट चुकी है. पुजारी परिषद के साथ-साथ इन समस्याओं को भक्तों ने व सभी धर्म संगठनों ने भी बार-बार लिखित में देवस्थान विभाग को दी है, लेकिन पिछले 40 वर्षों से अभी तक देवस्थान विभाग ने एक बार भी किसी भी प्रकार के आभूषण की ना तो मरम्मत करवाई है और ना ही उन्हें बदला गया है. यह मंदिर खुद अपना खर्च उठा रहा है.


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