Rajasthan News: पत्नी से संबंध बना कर उसे मां बनाने के लिए कैदी की परोल पर रिहाई का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से मना कर दिया है.  राजस्थान सरकार ने कहा था हाईकोर्ट ने जिस तरह मातृत्व को अधिकार बताया, उसे आधार बना कर कई कैदी परोल मांग रहे हैं. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पहले सरकार हाईकोर्ट में अपनी बात रखे. 


दरअसल पत्नी से संबंध बनाकर पिता बनने के लिए परोल मांग रहे कैदियों के आवेदन से परेशान होकर राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इसमें राज्य सरकार ने राजस्थान हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें इसी आधार पर उम्र कैद की सजा काट रहे एक व्यक्ति को 15 दिन के लिए रिहा किया गया था.


हाई कोर्ट से मिली परोल
बता दें कि 5 अप्रैल को राजस्थान हाई कोर्ट के जस्टिस फरजंद अली और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अजमेर जेल में उम्र कैद की सजा काट रहे नंदलाल को 15 दिन के लिए परोल पर रिहा करने का आदेश दिया था. यह आदेश पत्नी से संबंध बनाकर संतान पैदा करने के लिए दिया गया था. जजों ने माना था कि पत्नी की भी अपनी जरूरतें हैं. मां बनना उसका प्राकृतिक अधिकार है. इससे उसे वंचित नहीं किया जाना चाहिए. जजों ने वैदिक संस्कारों समेत दूसरे धर्मों की मान्यताओं का भी हवाला देते हुए कहा कि गर्भ धारण करना धार्मिक परंपराओं के हिसाब से भी बहुत अहम है.


पत्नी ने किया था आवेदन
34 साल का नंदलाल भीलवाड़ा की सेशंस कोर्ट ने 2019 में एक मामले में उम्र कैद की सजा दी थी. उसके बाद से वह अजमेर की जेल में बंद है. उसकी पत्नी रेखा ने अजमेर की डिस्ट्रिक्ट परोल कमिटी के अध्यक्ष को आवेदन देकर यह मांग की थी कि उसके पति को परोल दी जाए, जिससे वह मां बन सके. अजमेर के कलेक्टर और परोल कमेटी के अध्यक्ष ने इस आवेदन को लंबित रखा. इस बीच यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट पहुंच गया. वहां 2 जजों की बेंच ने यह कहा कि भले ही राज्य के परोल से जुड़े नियमों- 'राजस्थान प्रिजनर्स रिलीज ऑन परोल रूल्स' में पत्नी से संबंध बनाने के लिए कैदी की रिहाई का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन महिला के अधिकार को देखते हुए हम कैदी को परोल देने का आदेश दे रहे हैं.


मामले बढ़ने के बाद SC पहुंची थी सरकार
वहीं राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट का यह आदेश नियमों के मुताबिक गलत था. इस आदेश के बाद से पत्नी से संबंध बना कर संतान पैदा करने के लिए परोल मांगने वाले आवेदनों की संख्या बहुत बढ़ गई है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट हाई कोर्ट के आदेश को निरस्त कर उचित व्यवस्था दे. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया है. 


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