Deeg News: राजस्थान के डीग जिला कलेक्टर श्रुति भारद्वाज ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर जिले की सभी महिलाओं को बधाई दी. डीग जिला कलेक्टर ने कहा कि महिलाएं आज जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं, साथ ही राज्य सरकार की योजनाओं से आज महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं और आने वाला समय भी महिलाओं के लिए निश्चित रूप से लाभदायक होगा.


उन्होंने कहा कि समाज के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है कि महिलाओं को आगे बढ़ने के अधिक से अधिक मौके मिलते रहें. जिला कलेक्टर श्रुति भारद्वाज ने सभी महिलाओं से आह्वान किया कि वे दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़ते रहे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परचम लहराएं.


कौन हैं डीग जिला कलेक्टर?
डीग जिला कलेक्टर श्रुति भारद्वाज दिल्ली की रहने वाली हैं. उन्होंने एमए तक की शिक्षा ग्रहण की है. इससे पहले वह स्टेट इंश्योरेंस एवं पीएफ डिपार्टमेंट में निदेशक, जल संसाधन विभाग में संयुक्त सचिव जेडीए में अतिरिक्त आयुक्त और एसडीएम सहित अनेक पदों पर कार्य कर चुकी हैं. वह 1988 बैच की राजस्थान कैडर की आईएएस ऑफिसर हैं. 


महिला दिवस पर दी शुभकामनाएं
डीग जिला कलेक्टर श्रुति भारद्वाज ने कहा कि महिला दिवस के शुभ अवसर पर मेरी ओर से साथी महिलाओं को बहुत- बहुत शुभकामनाएं. आज इस मौके पर मेरा यह संदेश है कि हमारा जीवन में संतुलन का बहुत महत्व है.


अपने जीवन को संतुलित बनाए रखना ही हमारा ध्येय होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारी रफ्तार इतनी तेज भी नहीं होनी चाहिए की सभी पीछे छूट जाएं. हमारा काम हमारा प्रोफेशन सभी को साथ लेकर चलना होता है और इतनी धीमी भी नहीं होनी चाहिए कि हम ही पीछे छूट जाएं.


श्रुति भारद्वाज ने कहा, "हमें अपने परिवार, जीवन, प्रोफेशनल करियर सभी में एक संतुलित कार्य को देखते हुए अपनी जीवनशैली में इनकोपरेट करना चाहिए. शायद यही मेरी सफलता का सूत्र है." उन्होंने कहा कि जहां तक जिला कलेक्टर के रूप में अपने आप को सशक्त महसूस करने का सवाल है, तो हां मैं अपने आपको 100 फीसदी सशक्त महसूस करती हूं और सशक्त महसूस करने की भावनाएं किसी स्त्री या पुरुष से संबंधित नहीं है. यह एकमात्र अनुभूति है, अगर आप अपने कर्तव्यों का सही प्रकार से निर्वहन कर रहे हैं. 


जिला कलेक्टर ने महिलाओं को दी सलाह
महिलाओं को सलाह देते हुए कहा कि अगर कान्शियस हो कर सही तरह अपने आत्मा की आवाज को सुनकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं तो आप सशक्त हैं. चुनौतियां बहुत हैं, सबसे पहली चुनौती तो यही होती है कि समाज यह देखता है यह महिला है यह क्या करेगी?


यह हेल्पलेस है या इनको सहायता की जरूरत है, तो यही चुनौती जब आप अपने कार्य क्षेत्र में उतारती हैं तो अपने दायित्वों को, परिवार के दायित्वों को, समाज के दायित्वों को अपने प्रोफेशन के दायित्वों को सफलतापूर्वक निर्वहन करती हैं. फिर शायद यह चुनौतियां हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती हैं.  


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