करवा चौथ का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं इस दिन अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. वहीं, राजस्थान में इस व्रत को लेकर खास रौनक देखने को मिलती है. इस साल करवा चौथ 10 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा.
राजस्थान में करवा चौथ की धूम
राजस्थान में करवा चौथ का उत्सव सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आस्था और प्यार का प्रतीक माना जाता है. जयपुर से लेकर जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर तक इस दिन बाजार सजे रहते हैं. महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं, हाथों में मेहंदी रचाती हैं और नई साड़ियां व गहने पहनकर पूजा करती हैं.
शादीशुदा महिलाएं तो इस दिन व्रत रखती ही हैं, लेकिन खास बात यह है कि राजस्थान के कई इलाकों में कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं.
राजस्थान के शहरों में करवा चौथ व्रत चांद निकलने का समय
- जयपुर: रात 8:22 बजे
- उदयपुर: 7:53 बजे
- जोधपुर: 8:37 बजे
- बीकानेर: 8:31 बजे
- कोटा: 8:28 बजे
- जैसलमेर: 8:22 बजे
इन समयों पर महिलाएं चांद का दीदार कर पति की लंबी उम्र की कामना के साथ व्रत खोलेंगी.
करवा चौथ 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस साल करवा चौथ की तिथि को लेकर कुछ भ्रम रहा, लेकिन उदया तिथि के अनुसार व्रत 10 अक्टूबर, शुक्रवार को रखा जाएगा. चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 9 अक्टूबर, रात 10:54 बजे होगा. वहीं 10 अक्टूबर, शाम 7:38 बजे तिथि खत्म होगी. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक रहेगा.
करवा चौथ की परंपरा और पूजन विधि
राजस्थान में करवा चौथ की शुरुआत सुबह सूर्योदय से पहले सरगी खाने से होती है. सरगी सास अपनी बहू को देती हैं, जिसमें सूखे मेवे, मिठाई और फल होते हैं. इसके बाद महिलाएं पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखती हैं.
शाम को महिलाएं नई साड़ियां पहनकर एक साथ बैठती हैं और करवा चौथ की कथा सुनती हैं. पूजा थाली में करवा (मिट्टी का घड़ा), दीपक, रोली, चावल, मिठाई और पानी रखा जाता है. पूजा के बाद सभी महिलाएं करवा और दीपक से पूजा कर आशीर्वाद लेती हैं.
जब चांद निकलता है, तब महिलाएं छलनी से चांद को देखती हैं और फिर अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं. इस पल को बेहद शुभ और प्यार से भरा माना जाता है.