Jodhpur News: प्रदेश के जोधपुर में स्थित वन भूमि पर बढ़ते अतिक्रमणों पर राजस्थान हाइकोर्ट सख्त हो गया है. कोर्ट के जरिये कहा गया है कि सात दिनों के भीतर अतिक्रमणकारी अतिक्रमण हटाएं अन्यथा वन विभाग के जरिये अतिक्रमण हटाया जाएगा. राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच के जरयि जारी निर्देशों की अनुपालना में वनखंड बेरीगंगा के मौजा मंडोर में वनभूमि के रुप में रक्षित जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए वन विभाग कार्रवाई करेगा. इसके लिए सात दिन का नोटिस दिया गया है.  


इस संबंध में राजस्थान हाईकोर्ट में जनहित याचिका डीबी सिविल रिट पिटीशन दायर की गई थी. रामजी व्यास बनाम राजस्थान सरकार के बीच चल रहे इस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के जरिये वनभूमि क्षेत्र में बनाए गए जलापूर्ति को बंद करने का आदेश दिया है. इसको लेकर जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग नगर वृत जोधपुर के अधीक्षण अभियंता जे.सी. व्यास ने बताया कि उक्त आदेश की पालना में बेरीगंगा, भूतेश्वर, मचिया, चांदना, मोतीसरा, लालसागर, दुवकुंड जैसे ब्लॉक के वन भूमि क्षेत्रों में तीन दिन बाद बगैर किसी सूचना के जलापूर्ति बंद कर दी जाएगी, यह आदेश 1 फरवरी से माना जाएगा.


अधिकारियों ने क्या कहा?
उप वन संरक्षक अजीत उचोती द्वारा सोमवार को जारी नोटिस के अनुसार, वनभूमि की जमीन पर अवैध खुदायी और तोड़फोड़ करना या अन्य किसी प्रकार से अवैध अतिक्रमण करना, राजस्थान वन अधिनियम 1953 और राजस्थान भू राजस्व अधिनियम 1956 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध है. इस अपराध के लिए 6 माह तक के कारावास और 25000 रुपये तक के अर्थदण्ड का भी प्रावधान है. इस प्रकार का कृत्य सर्वोच्च न्यायालय के प्रकरण टी.एन. गोदावरमन बनाम भारत संघ में प्रदत्त आदेश 12 दिसंबर 1996 की भी अवमानना है.


वन भूमि से 7 दिन में अतिक्रमण हटाने के निर्देश
जारी नोटिस में कहा गया है कि 7 दिनों के अंदर खुद ही इस वनभूमि पर बनायी गयी अतिक्रमित संरचना को हटा लें और मौके पर रखी किसी भी प्रकार का सामान या सामग्री को भी हटा लिया जाए. नोटिस में चेतवानी दी गई है कि अतिक्रमणकारी मौके अतिक्रमण खुद हटा लें, उसके बाद वन विभाग वनभूमि से अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई करेगी. अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार का कोई नुक्सान होता है, तो इसके लिए अतिक्रमणकारी खुद जिम्मेदार होगा. 


हालांकि नोटिस में ये भी कहा गया है कि वन विभाग के संबंधित खसरों की वनभूमि अगर किसी व्यक्ति या संस्था को वन संरक्षण अधिनियम 1980 में वर्णित विधिक प्रावधानों के मुताबिक, सक्षम अधिकारी द्वारा जारी भूमि स्वामित्व का वैध दस्तावेज है, तो वह इन दस्तावेजों को जल्द से जल्द उप वन संरक्षक के सामने पेश करे. ऐसा करने के पर संबंधित अतिक्रमित संरचना को हटाने के लिए जारी नोटिस पर पुनर्विचार किया जाएगा.


बाधा करने पर होगी अलग से कार्रवाई
इस नोटिस में आगे कहा गया है कि अतिक्रमणकारियों से यह भी अपेक्षा की जाती है कि अतिक्रमण हटाए जाने की कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं किया जाएगा, ऐसे में अगर कोई कार्रवाई के दौरान बाधा पैदा करता है तो उसके खिलाफ अलग से कार्रवाई की जाएगी. इस नोटिस में स्पष्ठ निर्देश दिया है कि सभी अतिक्रमणकारी इस नोटिस के जारी होने के सात दिन के भीतर उपरोक्त वनभूमि से हटाकर वनभूमि को खाली करना सुनिश्चित करें.


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