Rajasthan News: राजस्थान में मेवाड़ और मारवाड़ को जोड़ने वाली अंग्रेजों के समय बनी मीटर गेज ट्रैक पर अब रेलवे की तरफ से एक स्पेशल ट्रेन की शुरुआत की गई है. इस ट्रेन का नाम वैली क्वीन हेरिटेज स्पेशल ट्रेन है. इसमें खास बात यह है कि, इस ट्रेन को यात्री प्राइवेट टैक्सी की तरह कही भी, कभी भी रुकवा सकते हैं. यह ट्रेन तो खास है ही, लेकिन जिस एरिया से यह यात्रियों को लेकर निकलेगी वह भी बेहद खास है. जानिए क्या है यह स्पेशल हेरिटेज ट्रेन और यह कहा से होकर निकलेगी. 

 

वैली क्वीन हेरिटेज स्पेशल रेलसेवा की नियमित समय सारणी के अनुसार उदयपुर-राजसमंद जिले के पास मारवाड़ जंक्शन से कामलीघाट जंक्शन तक चलेगी. वैली क्वीन हेरिटेज नियमित स्पेशल रेलसेवा 6 अक्टूबर से शुरू हुई, जो सप्ताह में 4 दिन सोमवार, मंगलवार, गुरुवार और शुक्रवार को संचालित होगी. यह मारवाड़ जंक्शन से सुबह 8.30 बजे रवाना होकर कामलीघाट स्टेशन पर 11.00 बजे पहुंचेगी और 2.40 बजे निकलकर शाम 5.20 फिर मारवाड़ जंक्शन पहुंचेगी. इस हेरिटेज ट्रेन में एक बार में 60 यात्री यात्रा कर सकेंगे. इस हेरिटेज ट्रेन में अकेले व्यक्ति को सफर करने के लिए 2 हजार रुपये का आरक्षित टिकट लेना होगा. ट्रेन सप्ताह में चार दिन सामान्य तौर पर संचालित होगी. दो दिन इसे ग्रुप बुकिंग के अनुसार संचालित किया जाएगा.

 

यात्री कही भी रुकवा सकते हैं ट्रेन

ट्रेन को आकर्षक लुक देने लिए इसके इंजन को पुराने भाप के इंजन का आकार दिया गया है. हेरिटेज ट्रेन को राजस्थानी लुक देने के लिए कोच पर राजस्थानी चित्रकारी के साथ हाथी घोड़े पालकी बनाए गए हैं. वातानुकूलित हेरिटेज ट्रेन को बुक कराने वाला पर्यटक इच्छानुसार कहीं भी रुकवा सकेगा. ट्रेन गोरम घाट, फुलाद और खामलीघाट स्टेशन पर तो रुकेगी. इस ट्रेन के साथ एक 60 सीट का विस्टाडोम कोच है. इसके अलावा एक स्टाफ का कोच और एक इंजन है. ट्रैक पर दो घुमावदार टनल सफर का रोमांच बढ़ाएगी. यह ट्रेन मुख्य रूप से खामलीघाट से फुलाद तक के 25 किमी का सफर प्राकृतिक और मनोरम दृश्यों के अलावा घाट खंड के कई दर्शनीय स्थलों को कवर करेगी.

 

53 किलोमीटर के इस ट्रैक में यह है खास

अरावली पहाड़ियों के बीच मारवाड़ से देवगढ़ मदारिया 53 किलोमीटर की मीटर गेज रेल लाइन प्राकृतिक सौन्दर्य से भरे इस क्षेत्र में पर्यटन का आधार बनी हुई है. इस मीटर गेज रेल लाइन को रेलवे ने हेरिटेज रेल लाइन के रूप में संरक्षित किया गया है. सौंदर्य से भरपूर रेलमार्ग से जब ट्रेन घने जंगल और पहाड़ियों के बीच सर्पीलाकार रास्तों से होते हुए पुराने समय में निर्मित ब्रिज के ऊपर से गुजरती है तो अलग ही अहसास होता है. हरी-भरी वादियों में जब ट्रेन ऊंचाई वाले पुलों और रास्ते में पड़ने वाली दो टनलों से होकर गुजरती है तो रोमांच और बढ़ जाता है. इस मीटर रेलखंड का लगभग 15 किलोमीटर भाग टॉडगढ़ रावली वन्य जीव अभ्यारण्य के मध्य से होकर गुजरता है. इस वन्य जीव अभ्यारण्य में तेंदुआ, बारह सिंघा, नीलगाय, जंगली सूअर आदि वन्यजीव निवास करते हैं. गोरम घाट स्टेशन के पास पहाड़ी पर गुरु गोरखनाथ का मंदिर स्थित है, जो कि खामली घाट से भी दिखाई देता है.