Rajasthan News: राजस्थान के हाड़ौती (Hadoti) संभाग में खेती के लिहाज से काफी अच्छी सुविधाएं और अच्छी जमीनें हैं, जो सोना उगलती हैं. ऐसे में कोटा में लहसुन की पैदावार भी काफी अच्छी होती है. साथ ही साल 2023 में लहसुन की अच्छी पैदावार होने से किसानों को अच्छे दाम मिले, जिसके चलते साल 2024 में आने वाली फसल का रकबा बढ़ गया है.


दरअसल, बीते एक साल में लहसुन की खेती करने वाले किसान सड़कों पर आ गए थे, लेकिन इस बार अच्छा मुनाफा मिला है. सभी किसानों को उपज के अच्छे दाम मिले हैं. इसी के चलते इस बार लहसुन की बुवाई में रकबा 80 फीसदी बढ़ गया है. ऐसा भी माना जा रहा है कि इस बार भी दाम कम नहीं होंगे, लेकिन यदि रकबा बढ़ेगा तो हो सकता है कि दाम कुछ कम हो जाएं. पहले लहसुन सड़कों पर थे तो इस बार आसमान में देखे जा रहे हैं. साल 2022 में लहसुन का रकबा हाड़ौती संभाग में 51,448 हेक्टेयर था, जबकि इस बार इसमें बढ़ोतरी हुई है.


17 हजार प्रति क्विंटल हो गए लहसुन के भाव 
इस समय कोटा की मंडियों में किसानों को 17 हजार रुपये प्रति क्विंटल औसत भाव मिल रहा है. इसके साथ ही एशिया की सबसे बड़ी मंडी का गौरव प्राप्त कोटा की भामााशाह कृषि उपज मंडी से विदेश में लहसुन का एक्सपोर्ट हो रहा है. डिमांड भी लगातार आ रही है. बांग्लादेश और अन्य जगह से भी डिमांड है. विदेशों में लहसुन की डिमांड के चलते किसानों को दाम काफी अच्छे मिले हैं. हालांकि, दाम बढ़ने से महंगा बीज खरीदने को किसान इस बार मजबूर होंगे.


35 से 40 हजार हेक्टेयर में ज्यादा बुवाई होगी
उद्यानिकी विभाग के संयुक्त निदेशक पी के सिंह के अनुसार साल 2022 में लहसुन का रकबा हाड़ौती संभाग में 51,448 हेक्टेयर था, जबकि इसमें बढ़ोतरी हुई है. वर्तमान में 84,164 हेक्टेयर एरिया में लहसुन की बुवाई किसान कर चुके हैं. यह बुवाई आगे और भी बढ़ सकती है. उन्होंने बताया कि बीते साल से करीब 33,000 हेक्टेयर ज्यादा एरिया में इस बार लहसुन की बुवाई अब तक हो चुकी है. उम्मीद है कि इस बार 35 से 40 हजार हेक्टेयर में ज्यादा बुवाई होगी.