Kota News: कोटा में हर वर्ष सरसों की बंपर आवक होती है. हाडौती और एमपी क्षेत्र से बड़ी मात्रा में सरसो कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी पहुंचती है. ऐसे में यहां सरकारी कांटे पर समर्थन मूल्य के साथ किसान सरसों को बेचना चाहते हैं लेकिन सरकारी कांटे नहीं लगाए जाने से किसानों को मजबूरी में व्यापारियों को ही सरसों बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है. ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल 700 से 800 रुपए नुकसान उठाना पड़ रहा है. 


प्रतिदिन हो रहा किसानों को ढाई करोड़ का नुकसान 
कोटा की भामाशाह मंडी एशिया की सबसे बडी कृषि उपज मंडी है और यहां हजारों क्विंटल प्रतिदिन सरसों आ रही है. इन दिनों 40 से 50 हजार क्विंटल सरसों प्रतिदिन आ रही है. कोटा सहित प्रदेश में सरसों की सरकारी कांटे पर खरीद शुरू नहीं हुई है. सरकार का समर्थन मूल्य 5650 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि बाजार भाव 4200 से 4800 रुपए तक है, ऐसे में किसानों को प्रति क्विंटल कम से कम 800 रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है.


एक अप्रैल से होगी खरीद, 15 मार्च से शुरू होंगे रजिस्ट्रेशन
सरकार द्वारा देर से रजिस्ट्रेशन कराए जाने और तुलाई कराए जाने से किसानों को प्रतिदिन करीब ढाई करोड का अनुमानित नुकसान आंका जा रहा है. राजफेड के क्षेत्रीय अधिकारी विष्णुदत्त शर्मा ने बताया कि कुछ बरसों से सरसों की खरीद 1 अप्रैल से होती रही है. 15 या 20 मार्च से रजिस्ट्रेशन शुरू हो सकते हैं. हमने हाड़ौती में 52 तौल केंद्रों पर खरीद की सभी तैयारी पूरी कर ली है. कोटा संभाग में इस वर्ष 7.38 लाख मैट्रिक टन सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है, वहीं प्रदेश में 62.31 लाख मीट्रिक टन उत्पादन अनुमानित है. जबकि खरीद का लक्ष्य प्रदेश में 15.58 लाख एमटी और कोटा संभाग में खरीद लक्ष्य 1.84 लाख मैट्रिक टन है. भामाशाह कृषि उपज मंडी की ग्रेन एंड सोड्स मर्चेट एसोसिएशन के महामंत्री महेश खंडेलवाल ने बताया कि कोटा, बारां, झालावाड़ सहित अन्य मंडियों में सरसों की आवक प्रतिदिन बढती जा रही है, इसे देखते हुए व्यवस्था की जानी चाहिए.


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