Rajasthan News: 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने बम धमाकों के मुख्य आरोपी अब्दुल करीम टुंडा को बरी कर दिया है. राजस्थान के अजमेर की टाडा कोर्ट ने फैसला सुनाया है. इस मामले में इरफान और हमीदुद्दीन को कोर्ट ने दोषी करार दिया है. 


करीम टुंडा को 2013 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था. 1993 में हैदराबाद, कानपुर, लखनऊ, सूरत, मुंबई की कुछ ट्रेनों में सिलेसिलेवार बम धमाके हुए थे. जिसका आरोप करीम टुंडा के अलावा इरफान और हमीदुद्दीन पर भी लगा था. इनपर टाडा एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. इस मामले को लेकर अब तक 150 लोगों की गवाही हो चुकी है.


अब्दुल करीम टुंडा यूपी के हापुड़ का रहने वाला है. वो पिलखुवा में बढ़ई का काम करता था. करीम टुंडा को लेकर अंदेशा जताया गया कि उसके तार लश्कर ए तैयबा से जुड़े हैं और वो आईएसआई से ट्रेनिंग भी ले चुका है. अजमेर की टाडा कोर्ट में अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ मामला 2014 से विचाराधीन था. 2013 में नेपाल बॉर्डर से हुई गिरफ्तारी के बाद से टुंडा 24 सितंबर 2023 से अजमेर जेल में बंद है. इस तरह बम ब्लास्ट केस में अब्दुल करीम टुंडा पर आतंकी का टैग लगा और 11 साल जेल में गुजरे. इस मामले में अब कोर्ट ने बरी कर दिया.


कोर्ट के सामने कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका


वकील शफकत सुल्तानी ने बताया कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है, आज कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. अब्दुल करीम टुंडा को सभी धाराओं और एक्ट में बरी कर दिया गया है. सीबीआई अभियोजन कोर्ट के सामने कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर सका. हम शुरू से ही कह रहे थे कि अब्दुल करीम टुंडा निर्दोष है. जितने भी मामले अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ दर्ज हुए हैं, दोष सिद्ध नहीं हुआ है.


वकील ने कहा, "कोर्ट ने सभी धाराओं से बरी करने का फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि सीबीआई अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ टाडा एक्ट, आईपीसी, रेलवे एक्ट, आर्म्स एक्ट, विस्फोटक अधिनियम मामले में कोई सबूत पेश नहीं कर सकी.''


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