Rajasthan Election 2023: राजस्थान की बूंदी विधानसभा सीट बेहद चर्चा में है. क्योंकि, इस सीट पर भाजपा ने जीत की हैट्रिक लगाई है. मगर, पिछले चुनाव में महज 713 वोटों से पार्टी को जीत मिली थी. इसलिए यहां पर पार्टी बेहद अलर्ट मोड पर है. इस बार पार्टी यहां पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. लेकिन, इस सीट पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला (Om Birla) की चलती है. वर्तमान विधायक अशोक डोगरा भी ओम बिड़ला के खास हैं और दूसरी तरफ बिड़ला के ओएसडी राजीव दत्ता भी इस सीट से दावेदारी में जुटे है. इन दोनों के बीच 'घमासान' है. ऐसे में पिछले चुनाव में मिली जीत को देखते हुए बिड़ला भी पसोपेश में है. जीत जरूरी के मन्त्र को लेकर पार्टी आगे बढ़ रह रही है और यहां पर डोगरा और दत्ता के बीच पेंच फंस गया है. ऐसे में यहां पर पार्टी किसी और को भी मैदान में उतार सकती है. मगर अभी तस्वीर साफ नहीं है. यहां जीतने के वोट के अंतर से अधिक नोटा को 1692 मत मिले थे. 


ये हुई थी शिकायत 


कोटा जिले के कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने पिछले साल राजीव दत्ता की डीजीपी से शिकायत की थी. उसके बाद माहौल गर्म हो गया था. उन्होंने विधिवत लेटर लिखकर शिकायत की थी. उन्होंने लेटर में लिखा था कि राजीव दत्ता राजस्थान पुलिस के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक है, जो वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के ओएसडी के पद पर कार्यरत है. इनको राजनीति करने का जबरदस्त शौक है व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के प्रचारक के रूप में कार्य करते हैं. मगर, आज भरत सिंह ने बताया कि इस शिकायत के बाद कुछ नहीं हुआ. 


ये हैं बड़े समीकरण 


बूंदी ऐसी विधानसभा सीट रही है जहां पर गैरकानूनी माइनिंग और अतिक्रमण एक तरह से व्यवसाय के रूप में है . जिसमें बड़ी संख्या में सभी जातियां शामिल हैं. मगर, भाजपा के पारम्परिक वोटर्स के तौर पर देखे तो गुर्जर और भील सक्रिय हैं. अब ऐसे में राजीव दत्ता जब बूंदी में सीआई से थे तब उनका सामना इन लोगों से होता रहा है. इसलिए सूत्रों की मानें तो भाजपा इस बात को लेकर बेहद सतर्क है. कहीं उसका असर चुनाव पर न पड़ जाए. क्योंकि, पिछली जीत बेहद निराशाजनक रही है. इसलिए, राजीव को आगे करने पर खतरे की संभावना बताई जा रही है. इस वजह से यहां पर पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है. क्योंकि, बिड़ला भी लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर यहां पर कोई कमजोर दांव नहीं खेलना चाहते हैं. क्योंकि, विधान सभा के परिणाम का असर लोकसभा के चुनाव पर भी पड़ सकता है. उदाहरण के तौर पर जोधपुर लोकसभा सीट अशोक गहलोत की सीट रही हैं मगर वहां से वैभव हार गए थे. इसलिए, यहां पर ओम बिरला अशोक डोगरा को कहीं मैदान में न उतार दें.  


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