Rajasthan Dynasty Writer: कहते हैं यदि किसी इंसान को अपने इतिहास और पूर्वजों के बारे में नहीं पता तो उसका जीवन खोखला माना जाता है. लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें चुटकियों में आपके इतिहास का पता लग सकता है. उन्हें वंशावली या वंश लेखक कहा जाता है. राजस्थान में बड़ी संख्या में वंश लेखक मौजूद हैं. उनके पास सैकड़ों साल पुराने वो लेख मौजूद हैं जो किसी के पास नहीं हैं. उनके पास वो धरोहर के रूप में आज भी जमा है.


इन सभी वंश लेखकों को एक साथ मंच पर लाकर आमजन के करीब लाने का प्रयास किया जाएगा. यहां 31 जुलाई को वंशावली संरक्षण और संवर्धन अकादमी की ओर से 31 जुलाई को जयपुर के हरिचन्द्र माथुर प्रशिक्षण संस्थान में वंश लेखकों के लिए वंश लेखन सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है. 


घर जाकर इतिहास लिखा जाता है
वहीं इसमें वंश लेखन परिवार के प्रतिभावान छात्र-छात्राएं भाग लेंगे. सम्मेलन में छात्र-छात्राओं को शामिल करने के लिए वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव प्रदेशभर के दौरे पर हैं. वो वंश लेखों को से मिलकर उन्हें जयपुर में आयोजित हो रहे सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं. एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए अध्यक्ष राम सिंह राव ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से वर्षों से उपलेक्षित वंश लेखकों को रोशनी की किरण दिखाई दी है. पूरे विश्व में हम गर्व के साथ कह सकते है वंश लेखन की परंपरा आज भी भारत में है, जहां वंश लेखकों द्वारा आम व्यक्ति के घर जाकर उसका इतिहास लिखा जाता है. उसके उल्लेखनीय कार्यों और परिवार का विववरण लिखा जाता है. 


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वंश लेखन से जुड़े परिवारों से मिले 
राम सिंह राव ने आगे कहा कि वर्तमान आधुनिक युग में युवा शिक्षा और नौकरी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, वहीं वंशावली संरक्षण एवं संवर्धन अकादमी द्वारा वंश लेखकों को उनकी परंपरा से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा हैं. युवाओं का वंश लेखन कार्य के प्रति आकर्षण पैदा हो. वरिष्ठों के अनुभव को युवाओं तक पहुंचाने के लिए सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. राव शनिवार को ढाकणी और सथूर गांव में वंश लेखन से जुड़े परिवारों से भी मिले.


वंशावली लेखकों की बहियों में कुंडली
राजस्थान भर में घर-घर जाकर वंशलेखन का काम करने वाले वंश लेखक ना सिर्फ राजा महाराजा का वंश लिखते हैं बल्कि हर जाति, हर वर्ग का भी वंशलेखन करते हैं. वंशावली लेखक जिस जगह पर पहुंचते हैं वहां मिलने वाले भोजन, आवास, कुल, नवजन्म, जमीन-जायदाद, तत्कालीन समय, तारीख, गवाह, खानपान, मुद्रा, राज और अन्य तमाम बातों का उल्लेख करते हैं. वंश लेखक गांव से लेकर कई जिलों में रहते हैं. वर्तमान में वंशवाली संरक्षण और संवर्धन अकादमी के पास ज्यादा वंश लेखकों की सूची नहीं है. ऐसे में इस सम्मेलन के जरिए वंश लेखक को एक मंच पर लाकर उन्हें सूचीबद्ध किया जाएगा और उनके अधिकार सहित उनके कार्यों को सरकारी तौर पर क्रियान्वित करने काम किया जाएगा. 


वंशावली को आगे बढ़ाना मकसद- राव
वंशावली संरक्षण संवर्धन अकादमी के अध्यक्ष राम सिंह राव के मुताबिक वंश लेखन की ये गौरवशाली परपंरा सृष्टि के उदय से ही चली आ रही है. पहले यह जन जरूरतों में सिमटी थी, फिर यह लेखन की ओर बढ़ी. अब यह पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है. वंशावली लेखक इस काम को ईश्वरीय वरदान मानकर करते आ रहे हैं. वे सार्वजनिक रूप से लेखन और सार्वजनिक रूप में ही इसका वाचन करते हैं और वहीं लिखते हैं जिनकी गवाही पूरा गांव देता है. हमारे विभाग की सोच है कि राजस्थान के जिलों में वंश लेखक लुप्त ना हों. उन्हें आवाज देने के लिए सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है ताकि उनकी पहचान बनी रहे और आने वाली पीढ़ी आपको नहीं भूले. 


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