Rajasthan Election 2023: राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (bjp) ने 41 विधानसभा सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम की सूची जारी कर दी है. उसके बाद से कई सीटों पर बगावत की बात भी सामने आने लगी थी. मगर अब धीरे-धीरे हर जगह बगावत के सुर ढीले पड़ गए हैं. इसके पीछे पार्टी ने बड़ी रणनीति बनाई है. कई नेताओं को मैदान में उतारा है. उसमें पूरा संगठन लग गया. दिल्ली से जयपुर तक पूरी मॉनिटरिंग की गई.


सूत्रों का कहना है कि राजस्थान भाजपा ने अपने पांच दिग्गजों को मैदान में उतार दिया. डॉ सतीश पूनियां, चंद्रशेखर, अरुण सिंह, सीपी जोशी और गजेंद्र सिंह शेखावत ने मजबूती से 'बगावत के सुर' को संभाला है. दरअसल, जयपुर जोन में झोटवाड़ा, विद्याधरनगर में बेहद ख़ास था. यहां के बाद शेखावटी और श्रीगंगानगर भी महत्वपूर्ण हो गया है. इन क्षेत्रों में अभी फिर टिकट घोषित होने है और कोई बगावत के सुर न बुलंद हो इसके लिए ये पूरी तैयारी चल रही है. भाजपा अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी वीसी के माध्यम से कई से बातचीत की है. 


 कई क्षेत्रों में पूनियां डटे 


राजस्थान के जाट, किसान और ओबीसी क्षेत्र में भाजपा ने उपनेता प्रतिपक्ष डॉ सतीश पूनियां को मैदान में उतार दिया है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष पूनियां श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़, सीकर अन्य क्षेत्रों में मजबूती के साथ उन नेताओं से मिलजुल रहे है जो बगावत के मूड में थे. इसके लिए सतीश पूनियां श्रीगंगानगर में एक कार्यक्रम भी करने पहुंचे. इस दौरान वहां पर उन्होंने वहां के लोगों के मूड को भांपा है. 


जयपुर में अरुण सिंह और गजेंद्र सिंह


जयपुर और अजमेर में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह और गजेंद्र सिंह शेखावत ने मोर्चा संभाल लिया है. बेहद कठिन विरोध था विद्याधर नगर में, मगर उसे अरुण सिंह ने संभाल लिया. बगावत के सुर अब कमजोर पड़ गए है. इसमें अरुण सिंह और गजेंद्र सिंह ने मोर्चा संभाल लिया है. सभी को समझाया जा रहा है. पार्टी सीटों को जीतने में लोगों को एकजुट होने की सलाह दे रही है. 


चंद्रशेखर और लोकसभा चुनाव 


इस बार के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के संगठन महामंत्री चंद्रशेखर की बड़ी भूमिका है. बेहतर अनुशासन और मेलजोल पर पूरा फोकस है. कई नाराज को चंद्रशेखर ने समझाया है. इसका असर भी दिखने लगा है. चूंकि, ओपिनियन पोल के बाद भाजपा के बगावती बेहद शांत हो गए हैं. इसके बाद लोकसभा का चुनाव है, ऐसे में जिन्हे विधान सभा में मजबूत माना जा रहा है उन्हें लोकसभा में मौका मिल सकता है. इसलिए मजबूत भाजपा नेता अब बगावत की जगह इन्तजार में है. 


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