Rajasthan Politics: राजस्थान में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बाद अब निष्कासित नेताओं के वापसी का दौर शुरू हुआ है. पिछले दिनों कांग्रेस में चार निष्कासित पार्षदों की वापसी हुई है. रोचक बात यह है कि ये वो पार्षद हैं, जिन्हें पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने 6 साल के लिए बाहर निकाल दिया था. 


इन्हें मालवीयनगर की विधान सभा प्रत्याशी रहीं अर्चना शर्मा के कहने पर निष्कासित किया गया था. लेकिन वापसी पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कराई. 


सिर्फ खाचरियावास के कहने पर हुआ एक्शन
अब सवाल उठ रहे हैं कि प्रताप सिंह खाचरियावास ने इनकी वापसी करा दी है तो क्या हेरिटेज नगर निगम की मेयर मुनेश गुर्जर से भी राजनीतिक रिश्ते बेहतर होंगे? क्योंकि विधानसभा चुनाव के दौरान सबसे अधिक चर्चा मुनेश और प्रताप के वाद-विवाद को लेकर हो रही थी. 


दावा किया जा रहा है कि इन पार्षदों की वापसी कांग्रेस अनुशासन समिति की जांच के बाद हुई है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सिर्फ प्रताप के कहने से ही इनकी वापसी हो गई.


बीजेपी में किसी ने नहीं की एंट्री?
जिन पार्षदों की कांग्रेस में वापसी कराई गई है, उनमें कुछ बीजेपी में जाना चाह रहे थे. बीजेपी के सूत्रों का कहना है कि इन्हें पार्टी में नहीं लिया गया. लोकसभा चुनाव के बाद प्रताप सिंह ने इनकी कांग्रेस में वापसी करा दी है. वहीं, राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश संगठन महामंत्री ललित तूनवाल का कहना है कि जो लोग पार्टी छोड़कर चले गए हैं, उन्हें कैसे वापस लाया जाए? जिन्हें किसी के कहने या शिकायत पर निकाला गया है उनकी वापसी हो रही है. इन चार पार्षदों को प्रताप सिंह खाचरियावास के कहने पर वापस लिया गया है. इन्होंने प्रताप के लिए लोकसभा चुनाव में काम किया है. 


पार्षदों को कांग्रेस से क्यों किया गया था निष्कासित?
विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान मालवीयनगर से कांग्रेस प्रत्याशी अर्चना शर्मा के खिलाफ काम करने के आरोप में पीसीसी के विचार विभाग के पूर्व संयोजक वेदप्रकाश शर्मा, वार्ड 127 की पार्षद प्रत्याशी कविता छबलानी, वार्ड 130 की पार्षद राजुला सिंह, वार्ड 140 के पार्षद अभिषेक सैनी, वार्ड 135 के पार्षद राजेश कुमावत और वार्ड 134 के पार्षद करण शर्मा को भी 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किया गया था.


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