Udaipur News: शहर से 40 किमी दूर जावर माइंस गांव में हिंदुस्तान जिंक के सहयोग से एक ग्राउंड बना है. यहां खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर की ट्रेनिंग दी जाती है. आदिवासी क्षेत्र जैसे ही नाम सामने आता है तो तस्वीर बनती है खेत में काम करते किसान, पशुओं को चराते युवक और दूर-दराज से पानी लेकर आती महिलाएं. लेकिन इस तस्वीर को उदयपुर के आदिवासी क्षेत्र जावर माइंस गांव ने बदली है. 44 साल पहले देश की सबसे बड़ी जिंक की खदान का संचालन करने वाली हिंदुस्तान जिंक ने सीएसआर के तहत यहां फुटबॉल ग्राउंड बनाया बनाया गया है, तब से युवाओं में फुटबॉल के प्रति ऐसा जोश चढ़ा है कि अब हर घर से युवक कोई दूसरा काम करे या ना करे फुटबॉल जरूर खेलता है. यहां से खेले हुए करीब 170 युवकों की सरकारी नौकरी तक लग गई है. धीरे-धीरे ग्राउंड को सुधारते गए और अब यह राष्ट्रीय स्तर का मैदान है जहां राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता होती है.


टूर्नामेंट की यहां से हुई शुरुआत 


ग्रामीणों ने बताया कि 1973 में भूतपूर्व तत्कालीन केंद्रीय खनन एंव इस्पात मंत्री मोहन कुमार मंगलम खदानों और गांव का दौरा करने आए थे. ग्रामीण इस दौरे से काफी प्रभावित हुए थे. फिर 1976 में मंत्री मंगलम का निधन हो गया था. इसी के बाद से उनकी याद में ग्रामीणों ने प्रतियोगिता मोहन कुमार मंगलम फुटबॉल टूर्नामेंट की शुरुआत की. आदिवासी बहुल क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर राजस्थान में खेली जाने वाली एक मात्र फुटबॉल प्रतियोगिता है. इसका आयोजन हिंदुस्तान जिंक और जावर माइंस मजदूर संघ के साझे से होता है. प्रतियोगिता होने के बाद से युवकों में फुटबॉल के प्रति रुझान बढ़ा है.


30 गांव के हजारों लोग पहुंचते हैं फुटबाल देखने


जावर माइंस में 200 मकान है जहां करीब 1200 की आबादी होगी. ऐसे में जब टूर्नामेंट होता है तो आसपास के 30 गांव से हजारों की संख्या में लोग प्रतियोगिता को देखने को पहुंचते हैं. बैठने की जगह नहीं होने पर लोग पहाड़ों पर चढ़कर मैच का आनंद लेते हैं. यहां के 170 से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जो कभी इस टूर्नामेंट में खेले और अब सरकारी नौकरी में हैं. कोई स्कूल में पीटीआई है तो कोई सब इंस्पेक्टर. ग्रामीण बताते हैं कि यहां फुटबॉल के अलावा कोई खेल नहीं खेला जाता है. लोग घरों में फुटबॉल की पूजा करते हैं.


राष्ट्रीय स्तर का बच्चों को दे रहे हैं प्रशिक्षण


भारतीय फुटबॉल टीम के पूर्व कप्तान और कोच तरुण व्यास जावर माइंस फुटबॉल एकेडमी के कोच हैं. तरुण व्यास ने बताया कि दो बड़े और तीन एस्ट्रो ट्रफ ग्राउंड हैं. दो बड़े ग्राउंड में मुख्य जावर माइंस स्थित है. यहां के बच्चों को राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. वर्तमान में 13-18 साल के 40 बच्चे प्रशिक्षण ले रहे हैं. इन 40 में 70 प्रतिशत तो इसी गांव के हैं . यहां पर आने वाले हर बच्चे का उच्च स्तर पर शारीरिक और मानसिक टेस्ट लेते हैं और उसी स्तर का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं. यहां राष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहले देश के अलग-अलग हिस्सों से कई टीमें आती थी लेकिन अब फिक्स 16 टीमें कर दी गई है.


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