Kuno National Park: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन के खास मौके पर नामीबिया से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया है. अभ्यारण में 181 हिरण व चीतल को भी छोड़ा गया अब इन चीतों को चीतल और हिरण खिलाए जाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. हरियाणा के बीजेपी नेता कुलदीप बिश्नोई ने इसकी निंदा की. उन्होंने केंद्र सरकार से इस पर रोक लगाने की मांग की है.


नामीबिया से लाए गए विदेशी चीतों के भोजन व शिकार के लिए हिरण व चितल परोसे जाने का मामला के विरोध में विश्नोई समाज उतर गया है. जोधपुर में विरोध प्रदर्शन किया गया. राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भी सौंपा गया. साथी विश्नोई समाज में चेतावनी दी है कि अगर फैसला वापस नहीं हुआ और हिरणों को शिकार आयोजित तरीके से किया गया तो इसका जमकर विरोध करेंगे.


पर्यावरण प्रेमी बिश्नोई समाज जीव हत्या के खिलाफ सदियों से समाज से लड़ता रहा है. 1998 में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान सहित अन्य फिल्मी सितारों ने शिकार किया था. उस दौरान काकानी में पूनमचंद विश्नोई हीराराम बिश्नोई मांगीलाल बिश्नोई तेरा राम बिश्नोई जोगाराम बिश्नोई के परिवार ने संघर्ष किया और सलमान खान के विरुद्ध पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया. हिरण शिकार मामले में सभी भाई मुख्य गवाह थे कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए हिरण व चीतल परोसे जाने खबरें सामने आने के बाद बेहत आहत हुए. 


काकानी में रहने वाले शेरा राम ने बताया कि हम और हमारा पूरा समाज सदियों से पर्यावरण के लिए संघर्ष करता रहा है. हमारे विश्नोई समाज ने हिरण के शिकार व पर्यावरण की रक्षा के लिए जान भी दी है. हमारे परिवार के लोगों ने भी बहुत संघर्ष किया है. हमें लग रहा था कि हिरण के शिकार पर रोक लगेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ.


हीरा राम विश्नोई ने कहा कि हिरणों को परोसा जाना सही नही है. इस फैसले की खबरे मीडिया में आ रही हैं जिससे हम आहत हैं. हिरण हमारे बेटे जैसे हैं. हिरणों का शिकार करने वालों के विरुद्ध संघर्ष हमारा समाज कर रहा है. विदेशी चीतों के लिए हिरणों को परोसना बिल्कुल गलत है. फैसला वापस लें अगर ऐसा नहीं है तो इसका खंडन होना चाहिए.


छोगाराम विश्नोई ने कहा कि हिरण हमारे लिए भगवान हैं सलमान खान ने हिरण का शिकार किया था उस हिरण का स्मारक बनाया गया है. हिरणों को चीतों के आगे परोसना गलत है. ऐसा हुआ तो इस उम्र में भी हम विरोध में उतरेंगे. 


बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से नाता रखता है. इन लोगों को प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है. बिश्नोई समाज में जानवरों को भगवान के समान माना जाता है और ये लोग इसके लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं.


बिश्नोई समाज जोधपुर के पास पश्चिमी थार रेगिस्तान से नाता रखता है. इन लोगों को प्रकृति के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है. बिश्नोई समाज में जानवरों को भगवान के समान माना जाता है और ये लोग इसके लिए अपनी जान तक देने को तैयार रहते हैं.  इसके लिए अपनी जान देने वाले लोगों को शहीद का दर्जा भी देता है. जानकारी के मुताबिक, इस समाज में ऐसे कई लोग हुए हैं, जिन्होंने जानवरों के लिए अपनी जान भी गंवाई है. इसमें गंगा राम विश्नोई जैसे कई नाम शामिल हैं.


बता दें कि बिश्नोई बीस (20) और नोई (9) से मिलकर बना है. ये समाज 29 नियमों का पालन करता है. जिनमें से एक नियम शाकाहारी रहना और हरे पेड़ नहीं काटना भी शामिल है. साथ ही बिश्नोई समाज जम्भोजी को पूजते हैं. 


सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हुई थी, जिसमें एक महिला हिरण के बच्चे को अपना दूध पिला रही थीं. दरअसल बिश्नोई समाज हिरण को भगवान की तरह मानते हैं और इसका सरंक्षण करते हैं. वहीं राजस्थान के कुछ गांवों में आज भी महिलाएं हिरण को अपना दूध पिलाती हैं. 


इस समाज के लोग तकरीबन 550 साल से प्रकृति की पूजा करते आ रहे हैं. वहीं काला हिरण विलुप्त होती प्रजातियों में से एक है, जिसकी सुरक्षा वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत की जाती है. बता दें कि करीब एक दशक पहले एक बिश्नोई युवक निहालचंद वन्यजीवों की रक्षा करते हुए शिकारियों से लड़कर अपनी जान पर खेल गया था. जिसके बाद इस घटना पर ‘विलिंग टू सैक्रीफाइस’ फिल्म भी बनाई गई थी.  'चिपको आंदोलन' में भी बिश्नोई समाज का अहम योगदान रहा है. 


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